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बुहाना, 20 अगस्त।
सामुदायिक अस्पताल में भर्ती एक नवजात गुरुवार सुबह मौत हो गई। उसकी मौत से परिजनों समेत ग्रामीणों में आक्रोश दिखाई दिया। घटना के बाद अस्पताल परिसर में नवजात का शव गोद में लेकर दादी धरने पर बैठ गई। धरने में ग्रामीण भी शामिल हो गए। उनकी मांग थी कि जब तक दोषी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हो जाती, वह धरने पर बैठे रहेंगे। बाद में एसडीएम जीतू कूल्हरी ने मौके पर पहुंचकर लोगों को समझाइश कर कार्रवाई का आश्वासन देकर धरना समाप्त कराया। परिजनों के मुताबिक बुहाना की वार्ड 17 की प्रसूता संगीता पत्नी कर्णसिंह मेघवाल को बुधवार शाम को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल स्टाफ ने रैफर कर दिया। परिजन 108 वाहन से झुंझुनूं लेकर जा रहे थे। चार किलो की दूरी ही तय की थी कि प्रसव हुआ और बेटे को जन्म दिया। एंबुलेंस चालक वापस बुहाना अस्पताल लेकर आ गया। सुबह करिबन आठ बजे बच्चे की तबियत अचानक बिगड़ी और परिजनों ने ड्यूटी पर मौजूद डॉ. महेंद्रसिंह चौधरी को बताया। परिजनों का आरोप हैं कि डॉक्टर ने देखने से मना कर दिया। यहां तक कि नवजात की दादी ने डॉक्टर के पैर तक पकड़ लिए। लेकिन डॉक्टर ने नवजात को संभाला तक नहीं। पौने नौ बजे बच्चे की मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर व स्टाफ की लापरवाही की वजह से उनके बच्चे की मौत हुई है। आक्रोशित परिजन व ग्रामीण अस्पताल परिसर में ही धरने पर बैठ गए और दोषी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करने लगे। बच्चे की मौत से उसकी मां के साथ साथ उसकी दादी का भी रो रोकर बुरा हाल था। धरने पर जयपाल मेघवाल, करणी सेना जिलाध्यक्ष गिरवरसिंह तंवर, रोहताश्वसिंह तंवर, मुकेश रांगेय, सत्यवीर बाड़ावाला, मास्टर बंशीधर, प्रेमपाल, सुनील सिहोड़िया, उत्तम शर्मा, संदीपसिंह तंवर, सत्यवीर रांगेय, महिपालसिंह, प्रकाशसिंह, नरसिंह, चंदगीराम, नरेश रांगेय, प्रमोद चौहान, विजेंद्र, महावीर, थावरमल बैठे। धरने पर पहुंची एसडीएम जीतू कूल्हरी ने परिजन से चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रकरण की जांच के लिए टीम गठित कर दी हैं।
गंभीर आरोप, अस्पताल से बाहर दलाल बैठा कर रखे हैं
धरने में शामिल करणी सेना जिलाध्यक्ष गिरवरसिंह तंवर ने कहा कि बुहाना के सरकारी अस्पताल में प्रसव की सुविधा सरकार ने भले ही निशुल्क कर दी है। लेकिन हकीकत में इसकी अनुपालन नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में प्रसव को आने वाली गर्भवती महिलाओं के परिजनों से खुलेआम सुविधा शुल्क लिया जाता है। ऐसे में दूर दराज से आने वाली गरीब गर्भवती महिला के परिजन सुविधा शुल्क देकर प्रसव कराने को मजबूर है। सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर प्रसूता को जननी सुरक्षा योजना के तहत धनराशि देने का प्रावधान है। लेकिन यहां गर्भवती महिलाओं के साथ उल्टा हो रहा है। अस्पताल के चिकित्सक व कर्मचारी उन्हीं से पैसा वसूल रहे हैं। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी विभाग के अधिकारियों को नहीं है। जानकर भी वे आंखें मूंदे हुए हैं। उन्होंने कहा कि कटु सच्चाई हैं प्रसव के बाद किसी से पांच सौ, एक हजार किसी से दो हजार रुपये तक लिएजाते हैं। और इस काम के लिए अस्पताल से बाहर दलाल बैठा कर रखे हैं। एक तो नर्स का पति ही हैं।
परिजन बोले, एक्शन हो
परिजनों का कहना था कि हमारा बच्चा तो चला गया, लेकिन अस्पताल में लापरवाह स्टाफ के खिलाफ एक्शन होना चाहिए। अस्पताल की लापरवाही को लेकर कोई पहला केस नहीं हैं। इससे पहले भी कई बार विवाद खड़ा कर चुका है। धरने पर लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई। लोगों ने आरोप लगाया कि रात के समय डॉक्टर शराब के नशे में रहते हैं। स्टाफ नर्सें डिलवरी के नाम पर रुपए की मांग की जाती है और इसमें एक स्वास्थ्य कर्मी के पति की भूमिका अहम है। सरकारी अस्पताल में सरकारी पूरी सुविधाएं दे रही है। लेकिन स्टाफ की लापरवाही की वजह से सरकारी अस्पताल में मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है ।
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