कुत्तों के आतंक से निजात कब? चिड़ावा में कुत्तों ने ढाई साल के मासूम को नोचा, जयपुर में मौत

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झुंझुनूं । चिड़ावा कस्बे के पास स्थित सूरजगढ़ क्षेत्र की डालमिया की ढाणी में दिल दहला देने वाली घटना हुई। यहां पागल कुत्तों के झुंड ने मां की आंखों के सामने उसके ढाई साल के बच्चे को नोच डाला, जिससे बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई। इस घटना से क्षेत्र के लोगों में आक्राेश व्याप्त है। लोगों का कहना है कि गांवों व शहरों में आवारा कुत्तों का झुंड हर दिन लोगों पर हमले कर उन्हें घायल कर रहा है। इसके बावजूद प्रशासन इन पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है।

जानकारी के मुताबिक सेहीकलां रोड पर रहने वाले सुभाष सैनी का ढाई साल का बेटा लक्की 11 दिसंबर को सुबह करीब नौ बजे घर के बाहर खेल रहा था। घर पर मां मायादेवी अकेली थी। मां ने बच्चे की चीख सुनकर घर के बाहर आकर देखा तो 8-10 कुत्ते उसके बेटे को नोच रहे थे। उसने बेटे को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाई। तब उसने हो हल्ला किया। इस पर पड़ोसियों ने आकर बच्चे को कुत्तों से छुड़वाया। बाद में बच्चे को चिड़ावा के अस्पताल ले जाया गया। जहां से उसे झुंझुनूं रेफर कर दिया गया। झुंझुनूं से जयपुर रेफर कर दिया। कुत्तों ने बच्चे के सिर, मुंह, हाथ-पांव पर बुरी तरह काट खाया। ऐसे में डॉक्टर मासूम को नहीं बचा पाए और उसने जयपुर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ी, हर महीने 500 से ज्यादा लोगों पर करते हैं हमला

चिड़ावा शहर एवं ग्रामीण इलाके में पिछले कुछ दिनों से आवारा कुत्तों द्वारा राहगीरों को काट खाने के मामले तेजी से बढ़े हैं। राजकीय अस्पताल सूत्रों के मुताबिक हर दिन 3 से 5 डॉग बाइट के केस आ रहे हैं। पूरे जिले की बात करें तो स्ट्रीट डॉग प्रतिमाह 500 से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। हर दिन दस- पन्द्रह मरीज को डॉग बाइट के इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। झुंझुनूं शहर के इंदिरा नगर, हाउसिंग बोर्ड, मान नगर, हवाई पट्टी, कलेक्ट्रेट, किसान कॉलोनी, रोडवेज बस डिपो के पीछे, बसंत विहार, पुलिस लाइन के अलावा चौराहों पर सर्वाधिक कुत्ते घूम रहे हैं।

कुत्तों की इस तरह बढ़ रही संख्या

पिछले ढ़ाई साल से रेबीज रोकथाम को लेकर काम रहे प्रिंस रेबीज रोकथाम संस्थान के शैतानराम मीणा ने बताया कि इस समय झुंझुनूं शहर में आवारा व पालतु कुत्तों की संख्या लगभग 15 हजार से अधिक है। उन्होंने बताया कि इनकी संख्या बढ़ने का सबसे कारण आवारा पशु अधिनियम के तहत नगर निकायों के द्वारा समय पर नसबंदी नहीं करना है। इनके मुताबिक एक स्वस्थ डॉगी साल में दो बार बच्चे दे सकती है। एक बार में छह से आठ बच्चें होते हैं। ऐसे में एक डॉगी अपनी 12 से 14 साल की आयु तक 120 से 140 बच्चों तक जन्म देती है। जानकारों का कहना है कि यह संख्या इसी तरह बढ़ती रही तो आगामी पांच साल में इनकी संख्या 50 हजार से पार पहुंच सकती है।

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