श्रीराम कथा में मंथरा से जुड़े प्रसंग पर दिनेशगिरी महाराज बोले-परिवार में कलह का कारण बाहरी व्यक्तियों की दखल

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रामकथा का वाचन करते दिनेशगिरी महाराज।

झुंझुनूं। पीरूसिंह सर्किल के पास जगन्नाथपुरी में मोरवाल परिवार की ओर से भव्य श्रीराम कथा का आयोजन करवाया जा रहा है। जिसमें बड़ी संख्या में शहरवासी पहुंचकर रामकथा का रसपान कर रहे है। इसी क्रम में रामकथा के चौथे दिन बुधगिरी पीठाधीश्वर दिनेशगिरी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि शब्द कभी नष्ट नहीं होते। वरन हमेशा विद्यमान रहते हैं। इसलिए बोलने में सावधानी रखनी चाहिए। रामविवाह के उपरांत सीता माता को वाणी संयम सिखाया गया था। महाराज ने श्रीराम के राज्याभिषेक का प्रसंग बताते हुए कहा कि दशरथजी ने शीशे में वृद्धावस्था के लक्ष्ण देखकर श्रीराम को राज्य देने का निर्णय ले लिया। महाराज ने इस प्रसंग पर यह भी कहा कि शुभ कार्य में विलम्ब नहीं करना चाहिए।

रामकथा में भजनों पर नाचतीं श्रद्धालु महिलाएं।

मंथरा का चरित्र बताते हुए उन्होंने कहा कि अयोध्या में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला। जिसकी बुद्धिमाता सरस्वती भ्रष्ट कर सकती। इस प्रसंग से महाराज ने बताया कि परिवारों में कलह का कारण बाहरी व्यक्तियों का दखल होना है। इस संबंध में महाराज ने सावधान करते हुए कहा कि कुबुद्धि रूपी मंथरा हमारे परिवारों में प्रवेश नहीं करें। महाराज ने एक महत्वपूर्ण सलाह दी कि परिवार के मुखिया या बड़ों की आज्ञा पालना की आदत डालनी चाहिए। श्रीराम द्वारा पिताजी की आज्ञा मानकर वनगमन करना ऊंचा आदर्श बताया गया। इस अवसर पर फतेहचंद, मोतीलाल, विनोद, महेंद्र, रतन, राजकुमार, ऋषिकुमार, प्रवीण, शशि, सुनिल, ओमप्रकाश, कैलाश मोरवाल परिवार एवं नारायण खंडेला, ईश्वर सृष्टि के कमलेश पारीक, मनीष एमई जोधपुर, रतन वर्मा, संघ प्रचारक निम्बाराम, सत्यनारायण, प्रकाशचंद्र, दीनानाथ रूंथला, ओमप्रकाश अग्रवाल खाटू, विनोद सिंघानिया व दिनेश अग्रवाल आदि मौजूद थे।

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