युवाओं का पक्षियों से अनोखा रिश्ता, मकर संक्रांति पर पतंग नहीं उड़ाते, बल्कि दिनभर घर-घर जाकर पक्षियों के लिए एकत्रित करते हैं अनाज

0
3
बाबा नत्थूराम जी

झुंझुनूं । पक्षियों और इंसानों के बीच अनूठा रिश्ता देखना हो तो आपको बख्तावरपुरा, कंवरपुरा व विजयपुरा की सीमा में स्थित बाबा नत्थू राम की कुटिया में पहुंचना होगा। पक्षियों वाली कुटिया के नाम से प्रसिद्ध इस आश्रम में रोजाना सुबह और शाम कबूतरों के लिए भंडारा लगाया जाता है। यहां रोजाना करीब 100 किलो अन्न का दान किया जाता है। पक्षियों के लिए अनाज की व्यवस्था इन तीनों गांव के ग्रामीण करते हैं। जब भी किसी घर में कोई मांगलिक कार्यक्रम होता है तो परंपरा के अनुसार उस घर से पक्षियों के लिए अनाज का दान करना जरूरी होता है। इतना ही मकर संक्रांति पर यहां के युवा पतंगबाजी नहीं करते, बल्कि पूरे दिन गांव में घूमकर घर-घर से अनाज एकत्रित करते हैं। इसकी शुरुआत करीब 20 साल पहले हुई थी। तब से बख्तावरपुरा, कंवरपुरा व विजयपुरा के युवा मकर सक्रांति पर पतंगबाजी करने की बजाय बेजुबान पक्षियों के लिए घर घर जाकर अनाज एकत्रित करते हैं। उस अनाज को बाबा नत्थू राम की कुटिया में बने गोदाम में रख देते हैं। सेवा समिति सदस्य युवा नेता व पूर्व पंच कपिल कटेवा काशी ने बताया कि मकर संक्रांति पर 2 दिन तक घर घर जाकर अनाज एकत्रित किया जाता है। गोदाम में रखे अनाज में से रोजाना करीब सौ किलो अनाज बेजुबान पक्षियों के लिए आश्रम के सामने बने मैदान में डाला जाता है। रोजाना तय समय पर जैसे ही अनाज डाला जाता है कबूतर एक साथ इसे चुगने के लिए आ जाते हैं।

20 साल पहले पक्षियों को दाना डालना शुरू किया
समिति के प्रवक्ता कपिल कटेवा कासी ने बताया कि कुटिया के महंत अशोक गिरी महाराज व कुटिया पर आने वाली कुछ महिलाओं ने 20 साल पहले पक्षियों को दाना डालना शुरू किया था। यह सिलसिला बढ़ने लगा तो पक्षियों की संख्या भी बढ़ गई। उनके लिए अनाज कम पड़ने लगा तो महंत सीताराम महाराज के नेतृत्व में करीब 20 साल पहले समिति का गठन किया गया। समिति सदस्यों तथा बख्तावरपुरा, कंवरपुरा व विजयपुरा के युवाओं ने मकर सक्रांति पर घर घर जाकर बेजुबान पक्षियों के लिए अनाज एकत्रित करना शुरू किया। जो आज तक अनवरत जारी है। अब कुटिया के महंत ब्रह्मदास महाराज व रामदास महाराज व उनके शिष्य प्रतिदिन दाना डालते हैं।

जानिए कहां है बाबा नत्थूराम की कुटिया

कंवरपुरा गांव की पश्चिम सरहद पर बाबा नत्थूराम की कुटिया है। यहां बाबा ने जीवित समाधि ली थी। काजी गांव में बाबा नत्थूराम जी का जन्म विक्रम संवत् 1904 में हुआ था।उनका निर्वाण वि.स. 1984 में 80 वर्ष की उम्र में हुआ था। उन्होंने तोशाम में तप किया। बाद में कंवरपुरा एवं बख्तावरपुरा गांव की सरहद पर एक कुटिया बनाकर रहने लगे। बुजुर्ग बताते हैं वे जिस पर कृपा करते थे उसे स्वपन में ही दर्शन देते थे। प्रत्यक्ष वाणी का प्रयोग बहुत कम करते थे, और यदि करते भी थे तो यह उनकी असीम कृपा का ही प्रसाद होता।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here