यमुना नहर के लिए किसानों ने भरी हूंकार, ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर किया प्रदर्शन, बोले-पानी नहीं मिला तो नेताओं की गांव में करेंगे एंट्री बंद, ग्राम सभाओं में लिए प्रस्ताव

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गांवों में सरपंचों व ग्रामसेवक को ज्ञापन देते किसान।

झुंझुनूं। जिले के सातों विधानसभा क्षेत्रों में पंचायत मुख्यालयों पर धरना कार्यक्रम को अभूतपूर्व सफलता मिली है। ग्रामीणों ने स्वतः स्फूर्त ढंग से या यमुना जल महासंघर्ष समिति में शामिल सभी जन संगठनों की पहलकदमी पर जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों में धरना कार्यक्रम किया गया। धरने की तरफ से सरपंच को ज्ञापन देकर ग्राम पंचायत में प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार व केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजकर यमुना जल समझौते को लागू करने, यमुना नहर के लिए बनी 31000 करोड़ रुपए की डीपीआर को तकनीकी स्वीकृति देने व राजस्थान तथा हरियाणा के बीच एमओयू करवाने की मांग करने की अपील की। कई ग्राम पंचायतों ने प्रस्ताव पारित भी किया तथा आंदोलन को अपना समर्थन दिया। यमुना जल महासंघर्ष समिति के जिला प्रवक्ता कामरेड फूलचंद बरबड़ व कामरेड रामचंद्र कुलहरि ने जिले की जनता को आंदोलन में साथ देने के लिए आभार व्यक्त करते हुए 12 फरवरी के जिला कलेक्ट्रेट पर रैली व विशाल सभा को सफल बनाने की अपील की।

श्योपुरा पंचायत में किसानों ने शुरू किया धरना

श्योपुरा पंचायत मुख्यालय पर प्रदर्शन करते किसान।

चिड़ावा। यमुना नहर जल समझौता 1994 को जल्द से जल्द लागू करने की मांग को लेकर सोमवार को श्योपुरा ग्राम पंचायत भवन के सामने किसानों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। साथ ही शासन व प्रशासन को चेताया है कि जल्द हमारे हक का पानी हमारे किसानों को नहीं दिया गया तो आने वाले लोकसभा चुनावों का हम बहिष्कार करेंगे और हमारी पंचायत में कहीं भी किसी भी नेता को घुसने नहीं देंगे। आंदोलन को तेजी प्रदान कर आस पास के गांवों में किसानों से सम्पर्क कर जागरूक करके और सभी बैठकर एक राय करके किसान अपने महिलाओं, बच्चों, अपने पशुओं को साथ में लेकर जयपुर विधानसभा का घेराव करेंगे। साथ ही अपने हक का पानी लेकर रहेंगे चाहे किसानों को कितनी भी कुर्बानी देनी पड़े। किसानों ने कहा कि आस पास के सभी ट्यूबवैल सूख गए है। यमुना का पानी उनके जीवन का मूल आधार है और किसान का व उनके बच्चों का भविष्य इस आंदोलन से जुड़ा हुआ जो किसान कभी बर्बाद नहीं होने देगा। धरना स्थल पर किसान नेता विक्रांत जाखड़, सुशील डांगी, रूपचंद बेनीवाल, रामसिंह गोदारा, पवन डांगी, अजय गोदारा, पूर्व सरपंच शंकरलाल, रामस्वरूप सैनी, मनोज डांगी, नीरज धत्तरवाल, विजय गोदारा, बलराज डांगी, जगदीश मेघवाल, मूलाराम मेघवाल, कुलदीप भास्कर, मूलचंद मेघवाल, श्रवण कुमार हलवाई, राजेंद्र डांगी, मानसिंह मेघवाल आदि मौजूद रहे।

यमुना के पानी की मांग को लेकर धरना 20वें दिन भी जारी

सुलताना में धरने पर बैठे किसान।

सुलताना। यमुना नहर की मांग अब जोर पकड़ने लगी है। गांव-गांव किसान और ग्रामीण यमुना नहर के पानी की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। जिले के करीब 2 दर्जन गांवों में किसान पांच राज्यों के बीच 1994 में हुए यमुना जल समझौते के तहत जिले को पानी देने की मांग कर रहे हैं। झुंझुनूं के सुलताना बाईपास सड़क मार्ग पर संचालित किसानों का धरना 20वें दिन भी जारी हैं। धरने की अध्यक्षता कर रहे कर्नल शौकत अली झांझोत ने बताया कि लगातार जल स्तर गिरने से खेती यह विलुप्त सी होने लगी है। अगर जल्द जिले को नहर का पानी नहीं मिला तो किसानों को रोजगार के लिए खेती छोड़कर अन्यत्र पलायन करना पड़ेगा। आठ फरवरी को सुलताना और आसपास के गांवों के किसान ट्रेक्टर मार्च निकालेंगे। ट्रेक्टर मार्च के लिए किसानों की टोली गांव गांव जाकर पीले चावल देकर किसानों को न्यौता दे रही हैं। बालूराम कुलहरि ने बताया कि 1994 में पांच राज्यों के बीच हुए यमुना जल समझौते के तहत झुंझुनूं जिले को जल्द ही ईआरसीपी की तरह ही हरियाणा से एमओयू करते हुए पानी दिलवाना चाहिए। ताकि वापस से यहां की खेती पुनर्जीवित हो सके और यहां के खेत फिर से लहलहा सके।

खुड़ौत गांव में किसानों का धरना जारी

खुड़ोत में प्रदर्शन करते किसान व ग्रामीण।

कस्बे के नजदीकी खुड़ौत में चौथे दिन यमुना जल समझौते के तहत पानी दिलवाने की मांग लेकर धरना जारी रहा। किसान नेता अनिल कुमार टोनी ने बताया कि लगातर जल स्तर गिरता जा रहा हैं। अब नहर किसानों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इस दौरान किसानों को 8 फरवरी को सुलताना में ट्रेक्टर रैली को लेकर पीले चावल बांटे गए। धरने की अध्यक्षता धर्मपाल पायल ने की। इस मौके पर पंचायत समिति सदस्य भरतसिंह, बनवारी लाल, केसर, दाताराम, मनीराम, विजयपाल सहित अनेक किसान मौजूद रहे।

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