मुस्लिम समाज ने भी अपनाया बेटियों को लेकर बदलाव का ट्रेंड, पहली बार मुस्लिम बेटियों की निकाली गई बिंदौरी

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घोड़ी पर बैठाकर बिंदौरी निकालते हुए।

झुंझुनूं। शेखावाटी में बेटियों को बेटों के बराबर दर्जा देने के लिए अब शादियों में दुल्हनों को घोड़ी पर बैठाने की एक परंपरा शुरू हो गई है। लेकिन यह बदलाव की बयार अब ना केवल हिंदू परिवारों में, बल्कि मुस्लिम परिवारों में भी शुरू हो गई है। जी, हां झुंझुनूं शहर में पहली बार मुस्लिम बेटियों को निकाह से पहले घोड़ी पर बैठाकर बिंदौरी निकाली गई। इस बदलाव की बयार का अगुवा बना है झुंझुनूं शहर का निर्बाण परिवार। दरअसल झुंझुनूं के निर्बाण परिवार के इशाक निर्बाण की बेटी शबनम तथा फारूक निर्बाण की बेटी मुस्कान का निकाह हुआ। लेकिन निकाह से पहली शाम को मुस्कान और शबनम की इच्छा पर उनके परिवार के सदस्य फारूक निर्बाण, इदरीश निर्बाण तथा बिलाल मुंदोरी उन्हें घोड़ी पर बैठाकर बिंदौरी निकाली।

इसके लिए बाकायदा डीजे भी मंगवाया गया। वहीं शादी के जोड़े से पहले दोनों बेटियों के सिर पर सेहरा भी सजाया गया। डीजे पर महिलाओं ने भी जमकर डांस किया और खुशी मनाई। इस खुशी के मौके पर खुद मुस्लिम बेटियां मुस्कान और शबनम खुद को रोक नहीं पाई और उन्होंने भी डांस किया। निर्बाण परिवार के मुखिया फारूक निर्बाण ने बताया कि उन्हें उनकी बेटियां मुस्कान और शबनम ने जब बताया कि वह हिंदू परिवार की लड़कियों की तरह शादी से पहले घोड़ी पर बैठना चाहती है। तो उन्होंने इसके लिए मना नहीं किया। बेटियों के सिर पर सेहरा सजाकर डीजे के साथ घोड़ी पर बैठाकर बिंदौरी निकाली गई। जिससे ना केवल बेटियां, बल्कि परिवार की सभी महिलाएं भी काफी खुश नजर आई।

इधर, बेटी मुस्कान ने बताया कि निकाह से पहले उन्हें काफी मन था कि वे भी घोड़ी पर बैठे। यह सपना उनके पिता फारूक निर्बाण, चाचा इदरीश निर्बाण और बिलाल मुंदोरी ने पूरा किया है। जिसको शब्दों में बयां किया जाना मुश्किल है। आपको बता दें कि शादियों के सीजन में आज शेखावाटी के हर गांव, ढाणी और कस्बों में शादी से पहले बेटियों को घोड़ी पर बैठाकर बिंदौरी निकालने का ट्रेंड बन गया है। अब इस बदलाव और ट्रेंड की शुरूआत मुस्लिम परिवारों में भी हो गई है। जो बेटियों को सशक्त बनाने के लिए बड़ा कदम माना जा सकता है। 

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