तपती दोपहरी में पानी के लिए भटकने को मजबूर हैं महिलाएं, करीब 1 साल से मची हुई है पानी के लिए त्राहि त्राहि

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कुठानिया की सुंदरपुरा की ढाणी में पानी के लिए विरोध जताते ग्रामीण।

सिंघाना। सरकार एक तरफ तो दावा कर रही है कि हर घर जल योजना को लागू किया गया है तथा पानी के लिए कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। लेकिन अभी कई गांवों व ढाणियां ऐसी है। जो पानी के लिए तरस रही है। सिंघाना पंचायत समिति की कुठानिया गांव की सुंदरपुरा की ढाणी में पानी के लिए त्राहि त्राहि मची हुई है। गांव में पानी की टंकी भी बनी हुई है। घरों तक जाने के लिए नल भी लगे हुए हैं। लेकिन नलों में पानी तो आता नहीं। ग्रामीण महिला व पुरुषों की आंखों में आंसू जरूर आते हैं। करीब एक साल से ढाणी में पानी की भारी कमी हो रही है। तपती दोपहरी में महिलाएं दो-दो किलोमीटर तक भटकती रहती है। लेकिन पानी नसीब नहीं होता। ढाणी में आने वाली मुख्य लाइन में दबंगों ने सीधी लाइन डालकर पानी ले रहे हैं।

जिससे ढाणी में पानी नहीं पहुंच रहा। पानी की समस्या को लेकर ग्रामीणों ने गांव की खाली पड़ी टंकी के आगे खाली मटके लेकर विरोध प्रदर्शन किया तथा प्रशासन व जलदाय विभाग के खिलाफ नारे लगाए गए। गांव की बुजूर्ग महिला ज्ञानादेवी ने बताया कि पुरुष तो मजदूरी के लिए बाहर चले जाते हैं। लेकिन महिलाएं पूरे दिन पानी के लिए भटकती रहती है। चुनाव में तो वोटों के लिए बड़े-बड़े आश्वासन देते हैं। लेकिन फिर कोई आकर के नहीं संभालता है। वहीं देवीसिंह भाटी व महेंद्र सिंह ने बताया कि पानी की समस्या पिछले एक साल से हो रही है। सरपंच, बीडीओ, एसडीएम, कलेक्टर तथा शिकायत पोर्टल पर भी शिकायत कर चुके लेकिन कहीं से भी कोई राहत नहीं मिल रही। गांव के 150 घरों की बस्ती 500 रूपए में टैंकर से पानी डलवाने पर मजबूर हो रहे हैं। लेकिन मजबूरी यह है पानी का टैंकर गिरवाए या घर में खाने का जुगाड़ करें। यही सबसे बड़ी विकट समस्या ग्रामीणों को हो रही है। अब हार कर या तो गांव से पलायन करना पड़ेगा या फिर जलदाय विभाग के आगे पूरा गांव धरने पर बैठने को मजबूर होगा।

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