Wednesday, May 21, 2025
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हरियाणा के सीएम के बयान के बाद गरमाई यमुना के पानी की राजनीति, पीसीसी चीफ डोटासरा बोले-घुटने टेके हैं सीएम और केंद्रीय मंत्री ने हरियाणा के सामने

जयपुर/झुंझुनूं। हरियाणा की विधानसभा में हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर द्वारा यमुना जल को लेकर दिए गए बयान के बाद अब राजनीति गरमा गई है। दरअसल मनोहरलाल खट्टर ने हरियाणा के विधानसभा में बताया है कि मौजूदा वक्त में हरियाणा की क्षमता 24000 क्यूसेक पानी की है। इस क्षमता को पूरा करके यदि बरसात के 15 से 20 दिनों में अतिरिक्त पानी प्रदेश में आता है, उसमें से ही राजस्थान को पानी दिया जाएगा। इसमें भी शर्त लगाई है कि अतिरिक्त पानी का एक चौथाई पहले हम लेंगे। साथ ही खट्टर ने कहा है कि 1994 में जो 13 हजार क्यूसेक पानी हरियाणा को मिलना था। वो पहले हरियाणा ने बढाकर 18 हजार क्यूसेक किया और अब 24 हजार क्यूसेक करने के बाद भी जो पानी राजस्थान में जाएगा। उसका भी एक चौथाई हिस्सा हरियाणा लेगा।

इस बयान के बाद पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने नीम का थाना विधायक सुरेश मोदी तथा पीसीसी प्रवक्ता व यमुना जल संघर्ष समिति के संयोजक यशवर्धनसिंह शेखावत के साथ जयपुर में प्रेस वार्ता की है। जिसमें पीसीसी चीफ डोटासरा ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत राजस्थान के लोगों को झूठ बोल रहे है। वे शेखावाटी को कोई भी पानी नहीं दिला रहे। बल्कि हरियाणा के सामने सरेंडर, यानि कि घुटने टेककर आए है। हरियाणा 1994 के समझौते के मुताबिक पानी नहीं दे रहा। बल्कि साफ—साफ कह रहा कि बारिश के दिनों में यदि 24000 क्यूसेक से ज्यादा पानी आएगा। तो देंगे। उसमें से भी 25 प्रतिशत पानी ले लेंगे। इसलिए भाजपा का झूठ सामने आ गया है।

हरियाणा भी हिस्सेदार, दादागिरी मालिक जैसी : यशवर्धन
प्रेस वार्ता में पीसीसी प्रवक्ता एवं यमुना जल संघर्ष समिति के संयोजक यशवर्धनसिंह शेखावत ने बताया कि 1994 में जो समझौता हुआ था। उसमें यमुना के पानी का राजस्थान की तरह हरियाणा भी एक हिस्सेदार मात्र है। बस हथिनी कुंड हरियाणा में है। पानी हरियाणा से होकर राजस्थान तक आना है। इसलिए हरियाणा हिस्सेदार होने की बजाय दादागिरी कर रहा है। उन्होंने बताया कि हरियाणा से सिर्फ इतना ही एमओयू करना है कि नहर के जरिए या फिर पाइप लाइन के जरिए वो हरियाणा से राजस्थान तक पानी लाने की इजाजत दे। इसके अलावा किस राज्य को कितना पानी मिलना है। यह तय करने का काम अपर यमुना रिवर बोर्ड का है।

जो इसी समझौते को लागू कराने के लिए 1995 में गठित किया गया था। उन्होंने बताया कि पूर्व में जो डीपीआर बनाई गई थी। उसमें छह पाइप लाइनों से पानी आना था। जो अब घटकर तीन कर दी गई है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत राजस्थान के हिस्से को भी हरियाणा को सौंप रहे है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा का लालच लगातार बढ रहा है। 1994 में 13000 क्यूसेक पानी का समझौता हुआ था। जो 18000 कर लिया। अब उसे 24000 कर रहा है। उसके बावजूद राजस्थान को जाने वाले पानी में 25 प्रतिशत पानी और मांग रहा है। जो पूरी तरह एक दादगिरी है।

इधर, कोर्ट में सुनवाई आज, टिकी सबकी नजरें
बीते तीन दशक से लंबित शेखावाटी की यमुना नहर की मांग को लेकर झुंझुनूं जिले के गांव-गांव में किसानों द्वारा धरने प्रदर्शन किया जा रहे हैं। वहीं यमुना जल मुद्दे को लेकर यमुना जल संघर्ष समिति संयोजक यशवर्धन सिंह शेखावत की ओर से लगाई गई जनहित याचिका पर शुक्रवार को हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। यमुना जल संघर्ष समिति संयोजक यशवर्धन सिंह शेखावत ने बताया कि गत दिनों केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मध्यस्थता में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बीच डीपीआर बनाने को लेकर हुए समझौते के दस्तावेज सरकार शुक्रवार को हाईकोर्ट में पेश करेगी या नहीं करेगी। इसको लेकर शेखावाटी की जनता की निगाहें टिकी हैं। सभी जानना चाहते हैं कि दोनों राज्यों के बीच किस तरह 1994 के समझौते को लागू करने पर सहमति बनी हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने जिस तरीके से विधानसभा में बयान दिया है।

उससे एक बार फिर हरियाणा की मनसा पर सवाल खड़े हो गए हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री भजनलाल खट्टर ने विधानसभा में बयान देते हुए बताया कि 24000 क्यूसेक से अधिक पानी आने पर ही राजस्थान को उसके हिस्से का पानी दिया जाएगा। इसमें भी हरियाणा के मुख्यमंत्री ने शर्त बताते हुए कहा कि यदि बरसात में 15 से 20 दिनों में अतिरिक्त पानी प्रदेश में आता है तो उसे ही राजस्थान को पानी दिया जाएगा। इसमें भी अतिरिक्त पानी का एक चौथाई हिस्सा पहले हरियाणा लेगा। उसके बाद राजस्थान को दिया जाएगा। आपको बता दें कि 1994 में पांच राज्यों के बीच हुए यमुना जल समझौते के तहत शेखावाटी को 1917 क्यूसेक पानी हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से उपलब्ध करवाना प्रस्तावित हुआ था।

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