झुंझुनूं। नवलगढ़ इलाके में सीमेंट कंपनियों के लिए प्रस्तावित रेलवे लाइन के लिए तय की गई भूमि की वीडियोग्राफी करने आए सीमेंट कंपनी के कर्मचारियों को ग्रामीणाें ने पकड़ लिया और उनके उपकरण छीन लिए। हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। किसानों का कहना था कि जब तक उन्हें प्रति बीघा एक करोड़ रुपए मुआवजा नहीं दिया जाएगा, वे न तो रेलवे लाइन डालने देंगे और न ही कंपनी के प्रतिनिधियों को खेतों में घुसने देंगे।
जानकारी के अनुसार सीमेंट कंपनी के कर्मचारी रेलवे लाइन के लिए चिह्नित भूमि का सर्वे करने के लिए बेरी गांव के खेतों में घुसे थे। महिलाओं ने उनसे पूछा तो उन्होंने कंपनी का कर्मचारी होने की बात छुपा ली। महिलाओं को बताया कि वे बिजली निगम के कर्मचारी हैं। लाइन में फाल्ट है, उसे देखने आए हैं। लेकिन जब वे वीडियोग्राफी करने लगे तो महिलाओं को शक हो गया। महिलाओं की सूचना पर ग्रामीण एकत्रित हो गए और कंपनी प्रतिनिधियों से आई कार्ड मांगे। इस पर वे सकपका गए। तब ग्रामीणों ने उनके मोबाइल व अन्य उपकरण छीन लिए। उन्हें पुलिस बुलाने की धमकी दी तो उन्होंने सच्चाई बता दी कि वे सीमेंट कंपनी के कर्मचारी हैं। जिन खेतों में से रेलवे लाइन गुजरेगी, उनका सर्वे करने आए हैं कि लाइन डलेगी, वहां क्या क्या है। तब किसानों ने इन कर्मचारियों को खेतों से बाहर निकाल दिया। किसानों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी तब तक वे खेतों में नहीं घुसने देंगे।
किसान बोले-प्रति बीघा एक करोड़ मुआवजा देंगे तो ही डालने देंगे लाइन

किसानों ने बताया कि वे अपने खेतों में से रेलवे लाइन नहीं डालने देंगे। रेलवे लाइन को लेकर हाल ही में किसानों की गंगा बाड़ी फार्म हाउस पर बैठक हुई थी जहां सभी किसानों ने एक स्वर में कहा कि खेतों में से रेलवे लाइन नहीं जाने देंगे। किसानों ने बताया कि अगर सीमेंट कंपनियां खेतों में से रेलवे लाइन डालती है तो किसानों को प्रति बीघा एक करोड़ रुपए के हिसाब से मुआवजा देना होगा। साथ ही रेलवे लाइन के दोनों और सड़क भी बनाई जानी चाहिए। पूरे खसरे की जमीन का मुआवजा दिया जाना चाहिए। प्रभावित किसानों के परिवार जनों को कंपनी में नौकरी दी जानी चाहिए। सीमेंट कंपनियों द्वारा किसाने की सिंचित जमीन को बारानी दिखाकर कार्रवाई की जा रही है जिसको सिंचित दिखाई जाए। जमीन कॉमर्शियल है तो उसी के हिसाब से ही किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए।
इन गांव के किसान होंगे प्रभावित
सीमेंट कंपनियां के लिए प्रस्तावित रेल लाइन डाली जाने से बेरी, झाझड़, बसावा, खिरोड़ व इनके आसपास लगने वाली ढाणियों के किसान प्रभावित होंगे। इन गांवों के किसानों के सामने अपनी आजीविका का संकट खड़ा हो जाएगा।