झुंझुनूं। विधानसभा चुनावों में शेखावाटी के मतदाताओं ने जो जनादेश दिया था, लगभग उसी को फिर से देते हुए लोकसभा की तीनों सीटें मतदाताओं ने भाजपा से छीनकर कांग्रेस और उनके गठबंधन की झोली में डाल दी है। झुंझुनूं व चूरू में कांग्रेस ने जीत हासिल की तो सीकर सीट कांग्रेस गठबंधन को मिली। झुंझुनूं में कांग्रेस के बृजेंद्र ओला व चूरू में कांग्रेस के राहुल कस्वा चुनाव जीते। वहीं सीकर में गठबंधन प्रत्याशी कामरेड अमराराम विजयी रहे। सीकर और चूरू में जहां भाजपा को 72 हजार से अधिक मतों से शिकस्त मिली है। वहीं झुंझुनूं में यह शिकस्त करीबी मुकाबले में ही रही। यहां पर भाजपा के शुभकरण चौधरी 18 हजार 235 वोटों से हारे। चूरू में कांग्रेस के राहुल कस्वा ने भाजपा के देवेंद्रसिंह झाझड़िया को मात दी। वहीं सीकर में कामरेड अमराराम ने भाजपा के लगातार दो बार के सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती को शिकस्त दी।
शेखावाटी की तीनों सीटों पर भाजपा की हार ने पार्टी को नए सिरे से सोचने के लिए विवश कर दिया है। पार्टी को छह माह पहले विधानसभा चुनाव में शेखावाटी में करारी हार मिली थी। तब शेखावाटी की 21 सीटों में से महज 6 पर ही जीत मिली थी। अब लोकसभा की तीनों सीटें गंवाकर जनता का विश्वास खो दिया।
चूरू में राहुल कस्वा की टिकट काटना रही बड़ी भूल
पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि शेखावाटी की तीनों सीटों पर हार की सुगबुगाहट उसी दिन हो गई थी, जिस दिन चूरू से लगातार दो बार के सांसद राहुल कस्वा की भाजपा ने टिकट काट दी थी। इसके पीछे कारण कुछ भी रहे हो, लेकिन राहुल कस्वा ने इसे जातिवाद से जोड़ दिया। उन्होंने चूरू जिले के दिग्गज भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ को इसका जिम्मेदार ठहराते हुए चुनाव को राजपूत बनाम जाट कर दिया। यहां से उठी जातिवाद की यह चिंगारी पूरे शेखावाटी में फैली। जाट समाज भाजपा के खिलाफ लामबंद बंद हो गया।
झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र से ओला ने सर्वाधिक 84701 वोट हासिल किए
परिणाम के अनुसार झुंझुनूं सीट पर कांग्रेस के बृजेंद्र ओला 18235 वोटों से विजयी रहे। ओला को 5 लाख 53 हजार 168 वोट मिले, जबकि भाजपा के शुभकरण चौधरी को 5 लाख 34 हजार 933 मत मिले। लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में हार जीत के आंकड़े देखें तो ओला को सर्वाधिक 84701 वोट झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र से मिले। इसके बाद उन्होंने मंडावा क्षेत्र से 72962 व फतेहपुर क्षेत्र से 70947 मत हासिल किए। यानी ओला ने चार विधानसभा क्षेत्रों से 40894 वोटों की बढ़त हासिल की। वहीं भाजपा के शुभकरण चौधरी किसी भी विधानसभा क्षेत्र से 70 हजार वोटों का आंकड़ा नहीं छू पाए। चौधरी को सर्वाधिक 68447 वोट उनके खुद के गृह क्षेत्र उदयपुरवाटी से हासिल हुए। इसके बाद उन्होंने पूर्व सांसद संतोष अहलावत के गृह क्षेत्र सूरजगढ़ से 66430 मत हासिल किए। नवलगढ़ से 65764 व खेतड़ी से 51989 मत हासिल किए। यानी इन चार क्षेत्रों से वे कांग्रेस की तुलना में 23360 वोटों की बढ़त ले पाए। इसी का नतीजा यह रहा कि ओला चुनाव जीत गए।
पिलानी और खेतड़ी विधानसभा क्षेत्र ने चौंकाया
इस चुनाव में पिलानी व खेतड़ी क्षेत्र के मतदाताओं ने दोनों ही दलों को चौंकाया। पिलानी क्षेत्र से जहां भाजपा ने कांग्रेस के बराबर वोट (महज 37 का अंतर) लेकर कांग्रेस को चौंकाया तो वहीं खेतड़ी क्षेत्र से कांग्रेस ने भाजपा के जितने वोट (महज 942 पीछे) लेकर भाजपा को सोचने पर विवश कर दिया। बता दें कि छह माह पहले हुए चुनाव में पिलानी में कांग्रेस के विधायक जीते थे और खेतड़ी में भाजपा के विधायक जीते थे। यानी अब लोकसभा में पिलानी में कांग्रेस को और खेतड़ी में भाजपा को लीड की मिलने की उम्मीद थी। दोनों दलों को दोनों जगह लीड तो मिली है लेकिन वह उम्मीद से बहुत कम है। कांग्रेस विधायक वाली पिलानी सीट पर कांग्रेस को महज 37 वोटों की लीड मिली है। वहीं भाजपा विधायक वाली खेतड़ी सीट पर भाजपा को महज 942 वोटों की लीड मिली है। भाजपा की हार के लिए खेतड़ी को जिम्मेदार माना जा रहा है।