झुंझुनूं। चुनावी मौसम में यमुना नहर का पानी शेखावाटी का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। साोमवार को इस मुद्दे पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने झुंझुनूं में प्रेस वार्ता की। इस मौके पर घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि वे जब पहली बार राज्य सभा में गए तो उन्होंने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के सहयोग से तीन बार यमुना के पानी का प्रश्न उठाया। जिसके बाद ना केवल केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह ने अधिकारियों की बैठक बुलाई। बल्कि राजस्थान में भाजपा की सरकार आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के प्रयासों से चार पाइप लाइनों के जरिए पानी लाने पर सहमति बनी है।
उन्होंने कहा कि ट्रिपल ईंजन की सरकार केंद्र, हरियाणा और राजस्थान अब शेखावाटी की प्यास बुझाएगी। इस बार शेखावाटी का वोट, पानी के लिए होगा। क्योंकि यदि भाजपा के उम्मीदवार जीतेंगे तो वह इस योजना को मूर्त रूप देने में सहयोगी साबित होंगे। यदि दूसरे लोग पहुंच गए तो वो सो जाएंगे, बात नहीं करेंगे, सवाल नहीं करेंगे। जिससे योजना प्रभावित होगी। हालांकि भाजपा संकल्प ले चुकी है कि यमुना का पानी शेखावाटी में हर हाल में लाया जाएगा। क्योंकि मोदी है तो मुमकिन है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग डीपीआर और एमओयू को लेकर अफवाहें फैला रहे है। लेकिन यह स्पष्ट है कि शेखावाटी को उसके हिस्से का पूरा पानी मिलेगा। प्रेस वार्ता में भाजपा जिलाध्यक्ष बनवारीलाल सैनी समेत अन्य मौजूद थे। उन्होंने कहा कि 1917 क्यूसेक पानी यमुना से और 1500 क्यूसेक पानी कुंभाराम से मिलेगा। यदि 4000 क्यूसेक पानी शेखावाटी को मिल जाता है तो सिंचाई और पीने के लिए पानी की कोई कमी नहीं रहेगी।
जब तक 1994 के अनुसार एमओयू नहीं होता, आंदोलन रहेगा जारी : शेखावत

शेखावाटी में यमुना के पानी को लेकर मुद्दा पूरे जोरों पर है। अब यमुना जल संघर्ष समिति ने दावा किया है कि उनके पास 17 फरवरी 2024 के दिन हरियाणा और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के बीच जो एमओयू किया है। उसकी कॉपी है। जिसमें यदि गौर करें तो इस एमओयू से यही लगता है कि राजस्थान के सीएम ने हरियाणा के सामने राजस्थान को आत्मसमर्पित कर दिया है। समिति के संयोजक यशवर्धनसिंह शेखावत ने सोमवार को प्रेस वार्ता की। जिसमें उन्होंने एमओयू होने का दावा किया और कहा कि हम लोग पिछले दो महीने से एमओयू की कॉपी प्राप्त करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन सरकार इस एमओयू को छुपाती रही। अब हमारे सोर्सेज से हमने एमओयू की जो कॉपी प्राप्त की है। उसमें ना केवल राजस्थान ने हरियाणा के सामने आत्मसमर्पण किया है। बल्कि 1994 के मूल समझौते को भी पूरी तरह खत्म करते हुए उसका उल्लंघन किया है।
उन्होंने कहा कि 1994 के समझोते के अनुसार इस पानी के पांच राज्य हकदार है। यदि मॉनसून का पानी कम आता है। तो पांचों राज्यों को बराबर कम पानी मिलेगा। लेकिन नए एमओयू में हरियाणा को पानी का मालिक बना दिया है। हरियाणा पहले खुद 24 हजार क्यूसेक पानी मिलेगा। फिर यदि बचेगा तो राजस्थान को देगा। जो झुंझुनूं के हकों के साथ कुठाराघात है और धोखा है। उन्होंने कहा कि जब तक 1994 के समझौते के अनुसार नया एमओयू नहीं बनता है। तब तक संघर्ष समिति आंदोलन जारी रखेगी।