झुंझुनूं। भाजपा ने प्रदेश में लोकसभा चुनाव में हारी हुई 11 लोकसभा सीटों की समीक्षा शुरू की। पहले दिन झुंझुनूं लोकसभा को लेकर चर्चा हुई। जिसमें लोकसभा के प्रत्याशी रहे शुभकरण चौधरी ने सारी स्थिति के बारे में बताया। अंदर क्या बात हुई। यह तो सामने नहीं आई। लेकिन बाहर आने के बाद जयपुर में एक चैनल को दिए इंटरव्यू में चौधरी ने कहा कि उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों से कहा कि झुंझुनूं सीट पर शुभकरण चौधरी तीन लाख वोटों से हार रहा है। यह बात जनता नहीं कह रही थी। पार्टी के ही नेता कह रहे थे। जिन्होंने यही बात जनता में, यही बात पार्टी में कहकर माहौल खराब कर जो फ्लोटिंग 10 प्रतिशत वोट होता है। उसे खराब किया। उन्होंने इस इंटरव्यू में कहा कि वे किसी हार से घबराने वाले नहीं है। वे पार्टी के कार्यकर्ता हैं। पार्टी जो आदेश देती है। वो काम करते हैं। हार से वो लोग घबराते हैं जिनके स्वार्थ होते हैं। मेरा ऐसा कोई स्वार्थ नहीं है।
चार जून को परिणाम आया और वे पांच जून को फिर से जनता के बीच में चले गए और उनकी सेवा का जो संकल्प लिया है। उसे लगातार पूरा कर रहे हैं। वहीं जीवन पर्यंत पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि जिन लोगों पर पार्टी ने भरोसा किया। बड़े बड़े पदों पर बैठाया। परिवारवाद को भी नजरअंदाज कर सम्मान दिया। उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए पार्टी के साथ धोखा किया। जिनका आगे का फैसला अब पार्टी को करना है। उन्होंने एक बार फिर कहा कि झुंझुनूं के 75 प्रतिशत जाटों ने उन्हें वोट कर इतिहास रचा है। इसके अलावा अन्य समाजों ने भी दिल खोलकर साथ दिया है। लेकिन जो माहौल बिगाड़ा गया। उसी से चुनाव हारे हैं। जिस झुंझुनूं सीट को एक नंबर पर हार की श्रेणी में बता रहे थे। वो लड़ते-लड़ते सबसे अंत में हारी। वो भी राजस्थान में सबसे कम मतों से हारी।
अहलावत जैसा समर्पित काम किसी दूसरे ने नहीं किया
इस मौके पर उन्होंने कहा कि संतोष अहलावत जैसा समर्पित काम हर विधानसभा में हो जाता तो वे दो लाख वोटों से जीतते। विधानसभा चुनावों में 36 हजार की हार के बावजूद मात्र तीन महीने में संतोष अहलावत ने ना केवल 36 हजार का अंतर दूर किया। बल्कि पार्टी को लोकसभा में साढ़े नौ हजार वोटों की बढ़त दिलाकर पार्टी के पक्ष में 45 हजार वोट किए। लेकिन खेतड़ी में 50 सालों से भाजपा को 12 से 15 हजार की लीड औसतन मिलती थी। चाहे एमपी कांग्रेस का चुना जाए या फिर बीजेपी का, वो इस बार नहीं मिली।