Sunday, February 9, 2025
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राजस्थान के 5036 लोग इस बार हज यात्रा पर जाएंगे, इनमें जिले के 72 लोग शामिल

झुंझुनूं। राजस्थान से इस बार हज केमुकद्दस सफर पर 5036 लोगजाएंगे। इसमें 4208 यात्री हजकमेटी के माध्यम से आैर 828लोग निजी स्तर पर हज यात्रा पर जाएंगे। हज कमेटी की ओर से2024 में हज यात्रा पर जाने वाले यात्रियों की (कुर्रा) लॉटरी में यह तय हुआ है। इस बार राजस्थान को 5036 सीट आवंटित की गई है जिसमें 4208 हज कमेटी के बैनर तले और शेष 828 लोग निजी स्तरपर हज यात्रा करेंगे। हज कमेटी केमाध्यम से आवेदन करने वाले4208 लोगों में 2136 पुरुष,2068 महिलाएं और 4 बच्चेशामिल हैं। झुंझुनूं जिले से 72लोग हज कमेटी के माध्यम से हजके लिए जाएंगे। हज प्रशिक्षकतहसीन कुरैशी ने बताया कि हजयात्रा का शिडयूल तय हो गया है।मई से हज यात्रियों की जयपुर सेफ्लाइट होगी।

हज यात्रा के लिए पासपोर्टकी अवधि 31 जनवरी 2025 तक

हज कमेटी अॉफ इंडिया कीओर से बताया गया है कि हजयात्रा पर जाने वाले यात्रियों कापासपोर्ट 31 जनवरी 2025 तकवैलिड होना च​ाहिए। पासपोर्ट 15जनवरी 2024 से पहले बना हुआभी होना चाहिए। इसके बाद बनेपासपोर्ट वाले व्यक्ति हज यात्रा केलिए आवेदन नहीं कर सकते।

किराए की रा​शि तीन किस्तों में जमा करानी होगी

हज कमेटी के माध्यम से हज यात्रा पर जाने वाले लोगों को किराए कीरा​शि तीन किस्तों में जमा करनी होगी। ​​तीन किस्तों में 4 लाख रुपए जमाकराने होंगे। पहली किस्त में 81,500 रुपए जमा कराने होंगे। शेष राशिअगली दो किश्तों में जमा करानी होगी। हज यात्रा पर जाने और वापसी केतिथि भी तय है।

जयपुर से हज के लिए पहली उड़ान 9 मई की है। इसकेबाद 10 जून तक ​अलग-अलग तारीखों की सऊदी अरब की उड़ान भरसकते हैं। सऊदी अरब में हज पर जाने वाले लोग 30 से 40​ दिन रहेंगे।उसके बाद वे अपने वतन के लिए वहां से वापसी करेंगे। वापसी के लिएभी 20 जून से 21 जुलाई तक की तारीखें तय की गई है।

हज यात्रा से जुड़ी बड़ी बातें जानिए

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़, शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हर मुसलमान को अपनी ज़िंदगी में कम से कम एक बार हज जरूर करना चाहिए। इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक़, पैग़ंबर इब्राहिम को अल्लाह ने एक तीर्थस्थान बनाकर समर्पित करने के लिए कहा था। इब्राहिम और उनके बेटे इस्माइल ने पत्थर का एक छोटा-सा घनाकार इमारत बनाई थी. इसी को क़ाबा कहा जाता है। बाद के वक्त में धीरे-धीरे लोगों ने यहां अलग-अलग ईश्वरों की पूजा शुरू कर दी।