कोलसिया (राकेश सोनी)।
गांव जाखल में वर्ष 2007 में 74 लोगों द्वारा एक-एक रूपया प्रतिदिन एकत्रित कर निस्वार्थ भाव से मेरा संकल्प संस्था की शुरूआत की गई। संस्था के सभी 74 सदस्यों द्वारा एकत्रित की गई प्रथम वर्ष की संपूर्ण राशि से 141 जरूरतमंद लोगों की सहायता की गई। इस पहल के बारे में ज्यों-ज्यों अन्य लोगों को पता लगा तो और सदस्य संस्था से जुड़ते चले गए। जिसके बाद में ये सिलसिला आज तक बरकरार है। ठीक 17 साल बाद में 74 सदस्यों से शुरू हुई संस्था में 700 से अधिक सदस्य जुड़ चुके है। अब तक इस संस्था के द्वारा 22 लाख रूपए से अधिक राशि सामाजिक सेवा कार्यों में खर्च की जा चुकी है। संस्था अपना वार्षिक सेवा समारोह दिसंबर महीने में आयोजित करती है। जिसमें जरूरतमंद लोगों को सहायता प्रदान करते हुए अन्य सदस्यों को इस तरह की संस्थान से जुड़ने या फिर ऐसी ही संस्था का गठन करके मानव सेवा करने का संदेश मंच के माध्यम से देती है।
बच्चों की गुल्लक बचत दे रही है संदेश
मेरा संकल्प संस्था में बहुत से नन्हें मुन्ने बच्चे भी शामिल है। बच्चों में छोटी-छोटी बचत करने की भावना विकसित करने का एक अनूठा कार्य संस्था द्वारा किया गया है। जिससे प्रेरित होकर काफी बच्चों ने प्रतिदिन अपनी पॉकेट मनी से एक रूपया संस्था के लिए निकालने का निर्णय लेते हुए मेरा संकल्प संस्था से जुड़े है। इस तरह की बच्चों में उत्पन्न होने वाली भावना से फिजूल खर्ची तो कम हुई ही है तथा सामाजिक कार्यों में सेवा करने के भावों से जुडऩे का अवसर भी उन्हें मिला है।
एक व्यक्ति, एक दिन, एक रूपया
मेरा संकल्प संस्था का सदस्य बनने की चाह रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक दिन का एक रूपया अपने नियमित खर्च से देना होता है तथा एक बुराई छोड़ने का संकल्प लेना होता है। जिसके बाद में ही वो व्यक्ति संस्था का सदस्य बन सकता है तथा इस संस्था से जुड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति से एक रूपया ही लिया जाता है। चाहे वह कितना ही अमीर क्यों ना हो। संस्था किसी एक व्यक्ति के रूपयों से चलने की बजाय सभी वर्ग के लोगों द्वारा दिए सहयोग से चलने पर ज्यादा विश्वास रखती है।
संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में संत-महात्मा ही होते है अतिथि
मेरा संकल्प द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में बतौर अतिथि संत-महात्माओं को ही आमंत्रित किया जाता है। इस संस्था के कार्यक्रमों को पूर्णतया गैर राजनीतिक रखा जाता है। संस्था से जुड़े लोगों के मिटिंग में आने की सूचना दी जाती है, किसी कारणवश मिटिंग में नहीं आ पाते है तो दूरभाष के माध्यम से उन्हें सूचना देकर उनकी सहमति ली जाती है। जिसके बाद में ही संस्था द्वारा कार्य किया जाता है।
बिना मालिक चलती है संस्था
मेरा संकल्प संस्था का कोई मालिक नहीं है। संस्था बिना मालिक के चलती है। संस्था से जुड़े सभी सदस्य ही संस्था के सभापति है। संस्था को मुख्य रूप से जगदीशसिंह शेखावत, सुरेंद्र पारीक, महेंद्रसिंह शेखावत, संजय मीणा, राजेश मूंड, पकंज कुमावत, रूस्तम अली, गीगाराम, महिपाल, रमेश जांगिड़ आदि मुख्य रूप से देखते है। संस्था का संपूर्ण लेन देन बैंक के द्वारा किया जाता है।
भागवत कथा से मिली प्रेरणा फिर बनाई संस्था
2007 में गांव के सुरेंद्र पारीक व जगदीश सिंह शेखावत गुढागौड़जी में आयोजित एक भागवत कथा में गए थे। वहां पर कथावाचक राघवाचार्य महाराज द्वारा एक रूपए का महत्व बताया गया। जिससे वो लोग प्रभावित हुए तथा गांव आकर अपने साथियों से इसके बारे में चर्चा की गई। चर्चा के बाद में मेरा संकल्प संस्था बनाने का निर्णय हुआ।