मंडावा। कस्बे में आए दिन आवारा पशुओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। गलियों व मोहल्लों में इनके जमघट के अलावा मुख्य बाजार में भी काफी अरसे से इनका जमघट राहगीरों वाहन चालकों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। जिसमें स्थानीय प्रशासन की उदासीनता भी बड़ा कारण है। मुख्य बाजार में शाम के समय किसी भी राहगीर का आसानी से गुजरना बड़ा मुश्किल काम है। आवारा और पागल सांडों का आतंक इतना है कि जिसका खामियाजा वार्ड 4 निवासी एक महिला किस्तूरी देवी पत्नि प्रहलाद परिहार, एक बच्चे सहित सात-आठ लोगों को उठाना पड़ा है।
एक सांड ने शुक्रवार सुबह के समय इतना आतंक मचाया कि राह चलने वाले लोगों को दिखते ही मारने को दौड़ रहा था। पालिका पार्षद संदीप परिहार ने इस सांड के आतंक को लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी डाली तो घंटेभर के बाद पालिका ने सुध ली। पालिका कर्मचारियों ने करीब 3 घंटे के बाद सांड को काबू में कर दूर ले जाकर पेड़ से बांधा। दर्जनों की संख्या में आवारा पशु मुख्य बाजार में सड़क पर एकत्रित रहते है। मुख्य बाजार में लगने वाली सब्जियों की रेहड़िया इनका मुख्य कारण है। दुकानदार शाम को जाते समय सब्जी और अन्य सामान यहां फेंक देते है। जिससे इन पशुओ का दिनभर जमघट लगा रहता है।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी कई घटनाएं
सांड के मारने की आज ही कोई नई घटना घटित नहीं हुई है। इससे पूर्व में भी कई घटना हो चुकी है। पूर्व की और वर्तमान की घटना घटित होने के बाद भी स्थानीय प्रशासन कोई उचित कार्यवाही नहीं कर पाया है। स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई उचित कार्यवाही नहीं करना एक बड़ा प्रश्नचिह्न है। पार्षद संदीप परिहार ने बताया कि आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए प्रशासन को समय रहते उचित कदम उठाने चाहिए। जिससे कोई बड़ी घटना से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि कस्बे में दिनों दिन आवारा पशुओं द्वारा लोगों को चोटिल करने की घटना हो रही है। पूर्व में एक पालिका कर्मचारी की भी सांड के हमले में मौत हो गई थी। स्थानीय प्रशासन को इन आवारा पशुओं को पकड़कर गौशाला में पहुंचाने की कार्यवाही करनी चाहिए। स्थानीय सब्जी विक्रेताओं को भी पाबंद करना चाहिए। जिससे पशुओ का जमघट नहीं लगे।
बोर्ड बैठक के निर्णय की पालना नहीं करा रही नगरपालिका
पार्षद संदीप परिहार ने बताया कि पालिका की पूर्व में हुई बोर्ड बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था कि सभी आवारा पशुओं को पकड़कर निराश्रित गौशाला में पहुंचाया जाएगा। लेकिन निर्णय के बाद से आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई जो एक विचारणीय बात है। बार—बार अवगत और चर्चा के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं करना हठधर्मिता को दर्शाता है। वहीं संदीप शर्मा व मनोज कुमार ने बताया कि मंडावा नगरपालिका को हठधर्मिता छोड़कर आमजन की समस्या को प्राथमिकता से आवश्यक मानते हुए कार्य करना चाहिए। बाजार में सभी सब्जी बेचने वालो पर सख्ती कर उन्हें कचरा नहीं डालने के लिए पाबंद करना चाहिए। ऐसा नहीं करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए जुर्माना की कार्यवाही को अमल में लाना चाहिए। जिससे सांडों की वजह से आए दिन होने वाली घटनाओं पर अंकुश लगे। न्याय मित्र ने भी अपने दौरे के तहत पालिका को इन आवारा पशुओं के लिए योजना बनाकर या किसी गौशाला में छोड़ने के लिए कहा गया। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। स्थानीय प्रशासन किसी बड़े हादसे के इंतजार में है। आवारा घुमने वाले पशुओं को समय समय पर पकड़ने की कार्यवाही करनी चाहिए। स्थानीय प्रशासन को गौशाला का सहयोग करना चाहिए। जिससे इन पशुओं को वहां रखा जा सके।
मंडावा सीएचसी में भी नहीं करते उपचार, सिर्फ रेफर करते
वहीं घटना के बाद मंडावा अस्पताल में चिकित्सकों का अभाव भी लोगों के लिए परेशानी का कारण है। कोई भी छोटी बड़ी घटना हो। उसे झुंझुनूं भेज दिया जाता है। सुविधाओं के अभाव के साथ साथ चिकित्सकों का अस्पताल में नहीं मिलना भी मरीज की परेशानी को बढ़ाते हैं। कस्बे की इस विकट समस्या को लेकर पालिका ईओ सीताराम कुमावत ने कहा कि पालिका द्वारा समय समय पर अभियान चलाकर उन्हें पकड़ने की प्रक्रिया की जा रही है। शुक्रवार की घटना की सूचना पर तत्काल कर्मचारी मौके पर पहुंचकर पागल सांड को बड़ी मशक्त के बाद काबू में कर दूर जंगल में बांध दिया गया है। शीघ्र ही इस परेशानी को दूर करने के लिए योजनाबद्व कार्य किया जाएगा। सभी सब्जी विक्रेताओं को नोटिस देकर पांबद करने की कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। जिससे वे कोई कचरा, सब्जी, फल वहां नहीं डाले। ईओ कुमावत ने बताया कि गौशाला में पशुओ को छोड़ा गया था। लेकिन वो रखने के लिए मना कर देते है। कुछ को छोड़ भी दिया जाता है तो प्रबंधकों द्वारा सभी पशुओं को वहां से निकाल दिया जाता है। दूर दराज छोड़ने के बाद भी पशु वापस आ जाते है।