झुंझुनूं। इस बार लोकसभा चुनावों में राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से 11 सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। इन 11 सीटों में सबसे कम वोटों से जो सीट हारी है वो है झुंझुनूं लोकसभा सीट। झुंझुनूं लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार शुभकरण चौधरी 18 हजार 235 वोटों से चुनाव हारे। जिन 11 सीटों पर बीजेपी हारी है। उनमें यदि झुंझुनूं के बाद नागौर सीट को छोड़ दें। तो सभी की हार 50 हजार से अधिक वोटों से हुई है। नागौर में भी भाजपा प्रत्याशी डॉ. ज्योति मिर्धा 42 हजार 225 वोटों से चुनाव हारी है। चुनाव हारने के बाद अब जब चुनावों की समीक्षा हो रही है और कई तरह की चर्चाएं हो रही है। उनमें झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र में भाजपा नेताओं द्वारा किए गए भितरघात की चर्चा अब सार्वजनिक चौपालों और चाय की दुकानों पर भी हो रही है।
इधर, शुभकरण चौधरी भी पार्टी में भितरघात करने वाले लोगों पर आक्रामक मुद्रा में हमला बोल रहे है। गुरूवार को जयपुर में एक निजी टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में शुभकरण चौधरी ने भितरघात करने वालों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि हर चुनाव में माहौल के साथ एक वोटिंग करने वाला भी वोट बैंक होता है। जिसे प्रभावित करने के लिए पार्टी के नेताओं ने माहौल बनाना शुरू कर दिया था कि टिकट का निर्णय गलत हुआ है। कंडीडेट कमजोर है। यह सिर्फ खुद को बड़ा साबित करने और हठधर्मिता के कारण भाजपा के नेताओं ने किया। लेकिन अब परिणाम सामने है। जैसा माहौल बनाया गया था। वैसा परिणाम नहीं आया। एक से दो लाख वोटों की हार बताने वाले अब कहीं दिखाई नहीं दे रहे। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कुछ समाजों की मुझसे नाराजगी हो सकती है। लेकिन झुंझुनूं के जाटों ने मेरा पूरा साथ दिया। जाटों के करीब सवा तीन लाख वोट पड़े। इनमें रिकॉर्ड ढाई लाख वोट मेरे को दिए। जिसका मैं सम्मान करता हूं।
इसके अलावा भाजपा का मूल वोट बैंक मूल ओबीसी, ब्राह्मण, वैश्य व अन्य समाजों ने भी दिल खोलकर वोट दिए। उन्होंने कहा कि जब सामने जाट समाज का ही उम्मीदवार और शीशराम ओला का बेटा चुनाव लड़ रहा हो। उन परिस्थितियों में भी झुंझुनूं के जाटों ने और अन्य समाजों ने मुझे वोट दिए। इसका मैं शुक्रगुजार रहूंगा। चौधरी ने कहा कि घर के चिराग से ही आग लगी है। हमें तो अपने नो डूबोया, गैरों में कहां दम था। हमारी कश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम था। उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों की तरफ कभी काम नहीं कर सकता। जो भाजपा के साथ रहकर दुश्मनों को पाले। आस्तीन में सांप पालना मेरी आदत नहीं है। जिन लोगों ने पार्टी के साथ दगाबाजी की है। उनके नाम नेतृत्व को बता दिए गए है। चुनावों के दौरान भी जानकारी दे दी गई है। धोखा देने वाले सोच रहे है कि वे पार्टी में काम करेंगे या फिर कोई पद प्राप्त कर लेंगे। तो शीर्ष नेतृत्व ऐसा होने नहीं देगा।
गुढ़ा से आमने-सामने होने की इच्छा जरूर है
इस मौके पर उन्होंने कहा कि राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने भाजपा का झुंझुनूं में कितना साथ दिया। यह वह खुद ही बता रहे है। उन्होंने झुंझुनूं में एक सोशल मीडिया पर दिए बयान में कहा है कि सारा सत्यानाश करने के बाद वे भाजपा के साथ आए। लेकिन झुंझुनूं में उन्होंने भाजपा की कोई मदद नहीं की। उन्होंने कहा कि अब राजेंद्र सिंह गुढ़ा उनके पीछे पीछे झुंझुनूं तक पहुंच गए हैं। उनकी इच्छा है कि झुंझुनूं में भी उनसे सामना करें। बाकि पार्टी की इच्छा है। पार्टी ने जब-जब आदेश दिया है। उसकी पालना की है। लेकिन यह तय है कि झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र के लोग उन्हें बोल रहे हैं कि उप चुनावों में वे फिर से चुनाव मैदान में आए। उन्होंने कहा कि यह भी तय है कि मेरे काम में कहीं कमी होगी। तभी चुनाव हारे है। वरना तो राजेंद्र सिंह गुढ़ा को चुनाव हराया भी है। तो चुनाव हारे भी है। सिर्फ 18 हजार वोटों से हार-जीत हुई है। उदयपुरवाटी में भी 400 वोटों से ही चुनाव हारे थे।