Monday, May 12, 2025
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भाजपा के प्रवक्ता ने प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी नेताओं को बरसाती मेंढक, कमजोर व बागी जैसी संज्ञा दी, जिलाध्यक्ष ने फटकारा-किससे पूछकर प्रेस कांफ्रेंस की

झुंझुनूं। भाजपा में सबकुछ ठीक चल रहा है या नहीं। इसकी सियासी गलियारों में खूब चर्चा हो रही है। इसकी वजह है- झुंझुनूं विधानसभा चुनावों में 28 हजार से ज्यादा वोटों से हार और लोकसभा चुनावों में आठ विधानसभा सीटों में से सर्वाधिक 16 हजार वोटों से झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र से पिछड़ना। इस बीच भाजपा के जिला प्रवक्ता कमलकांत शर्मा के उठाए जा रहे कदम से लगता है कि भाजपा में सबकुछ ठीक तो नहीं है। हम बात कर रहे एक जुलाई को प्रकाशित खबर ‘चौधरी, भांबू, पूनियां के नामों की चर्चा, रणवां और जानूं के नाम भी सामने आए’ की। जिसने सियासी गलियारों में बवाल मचा दिया। भाजपा जिला प्रवक्ता कमलकांत शर्मा को इस खबर ने इतना परेशान कर दिया कि उन्होंने जिलाध्यक्ष बनवारीलाल सैनी से चर्चा किए बगैर ही भाजपा के ‘मालिक’ बनकर प्रेस वार्ता कर डाली।

प्रेस कांफ्रेंस में कमलकांत शर्मा ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि ‘मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहूंगा। लेकिन इसमें कुछ कांग्रेस के नेता भी शामिल है। यह कमजोर लोगों का नाम और फोटो लगवाकर समाचार पत्रों में छपवा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के बागी ये चाहते है कि भारतीय जनता पार्टी कमजोर हो। ऐसे लोग किसी कमजोर व्यक्ति को प्रत्याशी दिखाना चाहते हैं ताकि कांग्रेस आसानी से चुनाव जीत जाए। ऐसा संभव नहीं हो सकेगा। उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं को बरसाती मेंढक, कमजोर, बागी जैसी संज्ञा भी दे डाली। इस प्रेस कांफ्रेस के कुछ देर बाद जब पत्रकारों ने जिलाध्यक्ष बनवारीलाल सैनी से पूछा कि आज प्रेस वार्ता की थी क्या। तो जिलाध्यक्ष बनवारीलाल सैनी इस प्रेस वार्ता से बेखर थे। उन्होंने तुरंत प्रवक्ता कमलकांत शर्मा को फोन मिलाया और जमकर फटकार भी लगाई। जिलाध्यक्ष नाराज हुए। इस मामले में जब हमने जिलाध्यक्ष से पूछा तो उन्होंने सिर्फ दो ही लाइन में कहा कि कमलकांत शर्मा से बात हो गई है। आगे ऐसा नहीं करेंगे। साथ ही जिलाध्यक्ष ने कहा कि आपको बाकी बातें पूछनी है तो फोन पर नहीं। मिलेंगे तब कर लेंगे।  इसके बारे में प्रवक्ता कमलकांत शर्मा से पूछा कि आपकी प्रेस कांफ्रेंस पर्सनल थी या फिर पार्टी की। तो उन्होंने भी छाती ठोककर कहा कि पर्सनल थी। अब पर्सनल प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी के कार्यकर्ताओं को बरसाती मेंढक, कमजोर, बागी जैसी संज्ञा देना कहां तक जायज है।

अब जानिए, प्रवक्ता ने किस पर किया इशारा और हकीकत क्या है

उपचुनाव में टिकट के दावेदारों में शामिल नेताओं को प्रवक्ता ने बागी, कमजोर व बरसाती मेंढ़क कह डाला। इनमें बागी की बात करें तो राजेंद्र भांबू ने 2023 के चुनावों में बगावत की थी। लेकिन लोकसभा चुनावों में पार्टी ने राजेंद्र भांबू को ना केवल भाजपा में शामिल किया। बल्कि राजेंद्र भांबू ने भी चुनावों में जी जान लगा दी। ऐसे में क्या उन्हें बागी कहा गया। यह सवाल हमने कमलकांत शर्मा से भी किया। लेकिन वो नाम नहीं बोले। शुभकरण चौधरी, विश्वंभर पूनियां, शिवकरण जानूं और बनवारीलाल रणवां को कमजोर और बरसाती मेंढक कहा। इसका भी सवाल हमने कमलकांत शर्मा से किया। लेकिन उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। हम इस सवाल के जवाब के इंतजार में रहेंगे।

पत्रकारों को एक नेता का नाम लेकर बुलाया, मिले प्रवक्ता जी
कुछ पत्रकारों से हमनें बात की। उन्होंने बताया कि हमें तो झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र के एक भाजपा नेता के समर्थकों ने फोन करके बुलाया था कि ‘नेताजी’ प्रेस वार्ता करेंगे। चूंकि ‘नेताजी’ का नाम बड़ा था। इसलिए पत्रकार पहुंचे भी। लेकिन वहां पर ‘नेताजी’ नहीं मिले। कुर्सी पर जमे बैठे थे प्रवक्ता कमलकांत शर्मा। हालांकि ‘नेताजी’ के मैनेजमेंट से जुड़े लोग वहां पर खिदमत में लगे हुए थे। जिससे यह तो साफ हो गया कि ‘नेताजी’ के कहने पर प्रेस कांफ्रेंस हुई। लेकिन पत्रकारिता की गरिमा का पाठ पढाने वाले प्रवक्ता कमलकांत शर्मा खुद पार्टी का ‘प्रोटोकॉल’ भूल गए। बिना जिलाध्यक्ष की सहमति से प्रेस कांफ्रेंस कर डाली।

दोहरी जिम्मेदारी का भार है कमलकांत शर्मा पर
आपको यहां यह भी बता दें कि कभी रणवीर सिंह गुढ़ा के साथ लोकजनशक्ति पार्टी, फिर बहुजन समाज पार्टी का झंडा उठाने वाले कमलकांत शर्मा बीते कुछ सालों से भाजपा के कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे है। उन्हें पहले जिला प्रवक्ता बनाया गया। बाद में उन्हें शहर अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी गई है। उन पर संगठन खूब मेहरबान रहा है। कारण क्या है। वो तो पता नहीं। लेकिन संभवतया झुंझुनूं जिले में भाजपा में कमलकांत शर्मा ही इतने बड़े और कर्मठ कार्यकर्ता है। जो जिला प्रवक्ता और शहर अध्यक्ष की दोहरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लिए हुए है। हालांकि बनवारीलाल सैनी के जिलाध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने जिला प्रवक्ता की जिम्मेदारी को पार्ट टाइम बना लिया है। जब उन्हें अपनी फोटो और नाम छपवाने होते है तो ही प्रेस नोट जारी होता है। अन्यथा बनवारीलाल सैनी अपने स्तर पर अन्य कार्यकर्ताओं से ही प्रेस नोट जारी करवाते है।

विधानसभा में 18 हजार तो लोकसभा में 11 हजार वोटों से पिछड़ी भाजपा झुंझुनूं शहर में
इधर, लगातार झुंझुनूं शहर में भाजपा के लचर प्रदर्शन के कारण अंदरखाने सुगबुगाहट शुरू हो गई है कि कमलकांत शर्मा बस अब और नहीं…। क्योंकि विधानसभा चुनावों में भाजपा ने झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र से 28 हजार के करीब वोटों से चुनाव हारा था। जिसमें 18 हजार वोटों से अकेली हार झुंझुनूं शहर से भाजपा को देखनी पड़ी। यानि कि सबसे खराब प्रदर्शन झुंझुनूं शहर का रहा। इसी तरह लोकसभा चुनावों में भाजपा को 18 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इनमें भी 11 हजार वोटों से हार तो केवल झुंझुनूं शहर से ही भाजपा को मिली। यदि झुंझुनूं शहर में भाजपा मजबूत होती तो ना केवल पूरे क्षेत्र की हवा बदल जाती है। बल्कि संभव था कि परिणाम भी कुछ और होते। यह लचर प्रदर्शन 2019 में नगर परिषद के चुनावों में भी था। जब कमलकांत शर्मा जिला प्रवक्ता थे और झुंझुनूं शहर के अघोषित भाजपा के नेता थे। बताया जाता है और सियासी चर्चाओं में था कि कि उनकी देखरेख में नगर परिषद का चुनाव लड़ा रहा जा रहा था। जिसमें भाजपा 60 में से 10 सीटों में सिमट गई। यही नहीं 10 सीटें आने के बाद भी सभापति के चुनावों में 5 भाजपा पार्षद क्रॉस वोट करके कांग्रेस के पाले में चले गए। जिन्हें रोक पाने में भाजपा असफल रही।

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