झुंझुनूं। पोक्सो कोर्ट ने बेटी से दुष्कर्म के एक मामले में बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि पोक्सो मामले में नाबालिग बच्ची के साथ अपराध होने पर अमूमन पिता रिपोर्ट दर्ज करवाता है और न्याय की गुहार लगाता है, लेकिन इस मामले में तो उलटा है। जब बेटियां अपने पिता के संरक्षण में ही सुरक्षित नहीं हैं तो फिर बच्चियां कहां सुरक्षित रह पाएंगी….। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उसके ही पिता और एक अन्य को 20-20 साल की कारावास की सजा सुनाई है।
पोक्सो कोर्ट के विशिष्ट लोक अभियोजक ओमप्रकाश सैनी बगड़ ने बताया कि 2019 में मलसीसर थाने में 13 साल की नाबालिगा ने अपने ही पिता और दो अन्यों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था कि आरोपी पिता ना केवल दो सालों से उसके साथ दुष्कर्म कर रहा है। बल्कि दो और लोगों से भी दुष्कर्म करवा रहा है। रिपोर्ट में पीड़िता ने बताया था कि उसकी मां और पिता में झगड़ा होता था। जिसके कारण 2016 में दोनों के बीच तलाक हो गया। 2017 से वह खुद और उसके तीन अन्य भाई बहन पिता के साथ रहते थे। उसका पिता उसके साथ दुष्कर्म करता था। वहीं अन्य भाई बहनों के साथ भी मारपीट करता था। जिस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की और पिता समेत दोनों अन्य नाबालिग बाल अपचारियों को निरूद्ध किया। इस मामले में कोर्ट ने सभी तथ्यों और बयानों को देखते हुए कहा है कि किसी भी बच्चे का सबसे बड़ा संरक्षक उसका पिता होता है। यदि वह भी ऐसी हरकत करता है। तो इससे बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता। ऐसे में कोर्ट ने नाबालिग के पिता और एक अन्य को 20-20 साल की सजा और 10-10 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है। वहीं तीसरे बाल अपचारी का मामला बाल न्यायालय में चल रहा है। आदेशों में कोर्ट ने पीड़िता को पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत चार लाख रुपए दिलवाने को भी कहा है।