Wednesday, May 21, 2025
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पूर्व सैनिक को लगता है कि उसके साथ गलत हो रहा है, अन्याय हो रहा है, तो वें आयोग को बताएं

झुंझुनूं। झुंझुनूं जिला वीर सैनिकों और शहीदों की भूमि के रूप में पूरे देश में विख्यात है। यहां हर व्यक्ति में देशभक्ति का जज्बा पाया जाता है। सैनिकों व पूर्व सैनिकों के प्रति गहरा सम्मान है। 14 जनवरी को सशस्त्र सेना पूर्व सैनिक दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है। वर्ष 1947 के युद्ध में भारतीय सेना को जीत दिलाने वाले पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल जनरल केएम करियप्पा इसी दिन वर्ष 1953 में औपचारिक रूप से सेना से सेवानिवृत्त हुए थे। जिनकी याद में यह दिन पूर्व सैनिकों के सम्मान के लिए समर्पित है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग झुंझुनूं भी न सिर्फ जिले के उपभोक्ताओं के लिए वरन पूर्व सैनिकों के लिए भी विशेष संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रहा है। पेश है आयोग अध्यक्ष मनोज मील से पूर्व सैनिक दिवस के संबंध में विशेष साक्षात्कार—

प्रश्न- सशस्त्र सेना पूर्व सैनिक दिवस के मौके पर आप जिले के पूर्व सैनिकों के लिए क्या भाव रखते हैं?
मील- सेना से सेवानिवृति से आशय जिले के पूर्व सैनिकों के लिए केवल इतना है कि वे सीमा पर तैनात नहीं है, वास्तव में सेवानिवृति के साथ ही उनकी बड़ी भूमिका समाज से में शुरु हो जाती है। सेना के अनुशासन को वो समाज में भी कायम करवाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। जिले में ऐसे अनेक उदाहरण है जब पूर्व सैनिकों ने समाज को अपने योगदान से लाभान्वित किया है। बतौर जिला आयोग अध्यक्ष मैंने यह महूसस किया है कि चूंकि फौजी साफ व नेकदिल होते हैं। ऐसे में भावनात्मक रूप से अनुचित व्यापार-व्यवहार करने वालों के टारगेट जल्दी बन जाते हैं। प्राय: देखने में आता है कि सरकारी कार्यालयों, बैंक इत्यादि में पूर्व सैनिक पूरे अनुशासन के साथ अपना दायित्व निभाते हैं। वहीं जब पूर्व सैनिक को लगता है कि उसके साथ गलत हो रहा है, अन्याय हो रहा है, तो वे पुरजोर शब्दों में विरोध भी दर्ज करवाते हैं। इसको देखकर मैंने व्यक्तिगत रूप से यह अनुभव किया है कि यदि पूर्व सैनिकों यानी फौजी भाईयों व उनके परिवारों को उपभोक्ता जागरुकता के कानून की जानकारी दी जाए, तो निश्चित ही वे ‘जागरुक उपभोक्ता’ के आदर्श वाक्य को यथार्थ में बदलते हुए अनुकरणीय कार्य कर सकते हैं।

प्रश्न- फौजी भाईयों से आयोग की क्या अपेक्षाएं हैं?
मील- झुंझुनूं जिले में आमजन को उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरुक के लिए ‘क्न्ज्यूमर्स वॉईस क्लब’ बनाए गए हैं, जिनसे जुड़कर फौजी भाई अपने आस पड़ौस के लोगों के साथ संगोष्ठियां व बैठक करें और उनके पहुंच के क्षेत्र में जो भी खाद्य सामग्री, राशन, किराने का सामान इत्यादि की बिक्री होती है। उनकी एक्सपायर डेट चैक करना, सामान खरीदते वक्त एक्सपायर डेट देखकर ही सामान खरीदना, यदि सामान डेट एक्सपायर हो तो दुकानदार को भी एक्सपायर डेट निकलने के बाद वस्तुओं को नहीं बेचने के लिए आगाह करना का कार्य कर सकते हैं। वे अपने आसपास के लोगों को व्यापक स्तर पर उपभोक्ता अधिकारों के लिए जागरुक कर सकते हैं। राजस्थान सरकार ने स्कूलों में उपभोक्ता क्लब्स का भी गठन कर रखा है, फौजी भाई उनको सक्रिय करने में भी अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं।

प्रश्न- फौजी भाई आयोग से क्या उम्मीदें रख सकते हैं?
मील- फौजी भाइयों को यदि कहीं भी उपभोक्ताओं के साथ अथवा स्वयं के साथ अनुचित व्यापार-व्यवहार महसूस हो, या सेवादोष नजर आता हो, तो जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग तक मामले को संज्ञान में लाकर कानूनी रूप से न्याय लेने का सद्प्रयास करें। आयोग के संज्ञान में जब एक पूर्व सैनिक का मामला आया, जिसमें अजमेर डिस्कॉम द्वारा उनके कृषि कनेक्शन में सेवादोष था, तो जिला आयोग ने रविवार को भी पूर्व सैनिक के हक़ में फैसला दिया था। जिला उपभोक्ता आयोग में बुजूर्ग, असहाय महिला, दिव्यांग, फौजी परिवारों के प्रार्थनापत्रों का त्वरित निस्तारण किया जाता है। उपभोक्ता आयोग का ध्यय है कि न्याय होने के साथ-साथ, न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए। ताकि सामान्य पीड़ित व्यक्ति भी न्याय की उम्मीद एवं विश्वास कर सके।

प्रश्न- झुंझुनूं का जिला आयोग नवाचारों के लिए जाना जाता रहा है, पूर्व सैनिकों  के लिए कोई नवाचार?
मील- यदि पूर्व सैनिक चाहें, तो महीने में एक विशेष दिन तय करके जिला आयोग उस दिन केवल पूर्व सैनिकों के मामले ही सुनने का नवाचार कर सकता है। इसके साथ ही यदि पूर्व सैनिक चाहें तो उपखंड स्तर भी सुनवाई के लिए चौपाल लगाई जा सकती है, अधिवक्तागणों से विधिक राय भी दिलवाई जा सकती है। जिला आयोग हर तरह से पूर्व सैनिकों के लिए तत्पर है।

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