नवलगढ़। ध्यान फाउंडेशन की ओर से शनिवार को गदा द्वारा शक्ति ग्रहण करने का अभ्यास कराने का प्रशिक्षण शिविर लगाया गया। इस प्रशिक्षण शिविर में पूरे विश्व से 100 से अधिक महिला व पुरुष भाग ले रहे हैं। अश्विनी गुरुजी ने बताया कि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमता है और उससे ऊर्जा ग्रहण करता है। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और वहां से अपनी ऊर्जा खींचती है। परिक्रमा के पीछे का प्राचीन भारतीय विज्ञान यहीं से उपजा है। इसी तरह शक्ति ग्रहण करने का अभ्यास गदा द्वारा भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु, हनुमान जी से लेकर भीम और द्रौपदी तक सभी ने गदा की कला का अभ्यास किया है। जब अभ्यासकर्ता गदा को अपने शरीर के चारों ओर घुमाता है, तो उस प्रक्रिया से उत्पन्न केंद्रित शक्ति को ग्रहण करता है। इस शक्ति का उपयोग वह अपने आध्यात्मिक विकास, शारीरिक शक्ति, तेज़ या किसी अन्य क्षेत्र में कर सकता है। लेकिन शक्ति उत्पन्न करने वाली क्रियाओं का अभ्यास केवल एक गुरु द्वारा ही निर्देशित किया जाना चाहिए। जब गदा को गुरु के स्पर्श और ध्वनि (मंत्रों के रूप में) से चार्ज कर अभ्यास किया जाता है, तो वह व्यक्ति की स्थूल और सूक्ष्म परतों में अभूतपूर्व शक्ति उत्पन्न करता है।
पांच दिवसीय शिविर हुआ आयोजित
ध्यान फाउंडेशन 2 से छह जनवरी तक नवलगढ़ एकांतवास का आयोजन कर रहा है। अश्विनी गुरु जी स्वयं प्राचीन ऋषियों के गुप्त रहस्यों के बारे में बताया। पहले तीन दिन ध्यान के माध्यम से स्थूल शरीर और उस की विभिन्न सूक्ष्म परतों को शुद्ध करने और उन्हें ऊर्जावान बनाने तथा चेतना को उन्नत करने के अभ्यास करवाए गए। अंतिम दो दिनों में प्रतिभागियों को गदा की गूढ़ और अलौकिक शक्तियों से परिचित कराया गया। इस दौरान प्रशिक्षणार्थियों ने गुरुजी से सवाल किए।