झुंझुनूं। चिकित्सा विभाग का एक नर्सिंग आफिसर किस कदर विभाग के अफसरों पर भारी पड़ रहा है। इसकी बानगी आपको जखोड़ा में मिल जाएगी। जखोड़ा पीएचसी पर कार्यरत नर्सिंग आफिसर हरिसिंह पायल ना केवल उच्चाधिकारियों के नोटिसों का जवाब नहीं दे रहा। बल्कि बार—बार नोटिस मिलने के बाद भी अपने नियम—कायदों से काम करने पर अड़ा हुआ है। एक दिन अनुपस्थित रहने वाले नर्सेज को निलंबित करने वाले सीएमएचओ, सिर्फ पत्रों के आदान प्रदान की भूमिका निभा रहे है। ना कि कोई कार्रवाई कर रहे है। जी, हां जखोड़ा पीएचसी में कार्यरत नर्सिंग आफिसर हरिसिंह पायल के खिलाफ अब चिड़ावा एसडीएम बृजेश कुमार ने 17सीसीए में एक चार्जशीट तैयार कर जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल को भिजवाई है। यही चार्जशीट जिला कलेक्टर ने सीएमएचओ डॉ. राजकुमार डांगी को भिजवाई। इसके बाद बुधवार को सीएमएचओ डॉ. राजकुमार डांगी ने निदेशक अराजपत्रित चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को अग्रिम कार्यवाही के लिए भिजवाई है।
जो नर्सिंग आफिसर लगातार 25 अप्रेल से बिना बताए अनुपस्थित है। इस दौरान बीसीएमओ द्वारा दो कारण बताओ नोटिस दिए जा चुके हैं। उनका जवाब नहीं दे रहा है। ऐसे नर्सिंग आफिसर पर सीएमएचओ कार्रवाई करने से क्यों कतरा रहे हैं। वो सबसे बड़ा सवाल है। बहरहाल, ताजा घटनाक्रम में बुधवार को सीएमएचओ डॉ. राजकुमार डांगी ने निदेशक अराजपत्रित चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को 17सीसीए के तहत जखोड़ा पीएचसी में कार्यरत नर्सिंग आफिसर हरिसिंह पायल के खिलाफ चार्जशीट भेजी है।
प्रभारी से लेकर बीसीएमओ तक दे चुके हैं नोटिस
नर्सिंग आफिसर हरिसिंह पायल को अब तक जखोड़ा पीएचसी के प्रभारी डॉ. निलेश राज ने चार और चिड़ावा बीसीएमओ डॉ. तेजपाल कटेवा ने दो नोटिस दिए है। लेकिन हरिसिंह पायल ने केवल एक नोटिस का जवाब दिया है। उसमें भी साथ में मेडिकल लीव की अर्जी लिखी है। बीसीएमओ डॉ. तेजपाल कटेवा ने बताया कि हरिसिंह पायल को 25 अप्रेल तथा 29 अप्रेल को दो कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। दोनों का ही जवाब हरिसिंह पायल ने नहीं दिया है। वहीं पीएचसी प्रभारी डॉ. निलेश राज ने बताया कि उन्होंने करीब एक साल के पीरियड में हरिसिंह पायल को चार नोटिस दिए है। पहले के तीन नोटिस का उन्होंने जवाब नहीं दिया। जबकि अब 29 अप्रेल को एक नोटिस दिया है। उसका जवाब तो दिया है। लेकिन साथ में मेडिकल छुट्टी के के बारे में लिखा है।
मेडिकल अर्जी दी और फिर से अनुपस्थित हुआ हरिसिंह पायल
नर्सिंग आफिसर हरिसिंह पायल अभी भी अपनी ड्यूटी पर नहीं जा रहा है। पीएचसी प्रभारी डॉ. निलेश राज ने बताया कि 29 अप्रेल को जब बीसीएमओ डॉ. तेजपाल कटेवा निरीक्षण के लिए आए थे। इसके बाद उन्होंने हरिसिंह पायल को नोटिस दिया था। जिसमें बिना बताए अवकाश का कारण पूछा था। हरिसिंह पायल ने पहली बार उनके इस नोटिस का जवाब दिया और बताया कि वह बीमार है। इसके कारण वह अनुपस्थित रहा था। आगे भी वह अपनी बीमारी के कारण ड्यूटी पर नहीं आ सकता। उसने इस जवाब में अपनी मेडिकल अवकाश की अर्जी दी। जिसके बारे में चिड़ावा बीसीएमओ डॉ. तेजपाल कटेवा से चर्चा की गई तो उन्होंने सिकनेस सर्टिफिकेट के बिना अवकाश की अर्जी को अस्वीकृत कर दिया। जिसके बारे में हरिसिंह पायल को बता दिया गया था। लेकिन फिर भी हरिसिंह पायल ड्यूटी पर नहीं आ रहा है।
चार्जशीट में जिक्र, पायल अस्पताल का संचालन करता है हरिसिंह
चिड़ावा एसडीएम बृजेश कुमार द्वारा तैयार की गई 17सीसीए की चार्जशीट में यह साफ लिखा हुआ है कि नर्सिंग आफिसर हरिसिंह पायल का चिड़ावा में पायल अस्पताल के नाम से हॉस्पिटल संचालित है। इसी कारण से हरिसिंह पायल अंधिकाश समय ड्यूटी से नदारद रहते है। इधर, चर्चा तो यहां तक है कि इसी पायल अस्पताल में सरकारी अस्पताल के चिकित्सक भी सेवाएं देते है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
सवाल यह भी, झुंझुनूं सीएमएचओ आफिस क्यों कदम नहीं उठा रहा
अक्सर जिला स्तर के अधिकारी कहीं पर औचक निरीक्षण पर जाते है और उन्हें कोई नदारद मिलता है। तो सस्पैंड करने या फिर एपीओ करने में कोई देरी नहीं करते। लेकिन अब तो यह सवाल सभी के मन में घर कर गया है कि आखिरकार ऐसी कौनसी मजबूरियां है। जो सीएमएचओ आफिस इस मामले में अपने आप कोई कदम नहीं उठा रहा है। बुधवार को भी जो चार्जशीट भेजी गई है। वो भी चिड़ावा एसडीएम ने झुंझुनूं कलेक्टर को भेजी और झुंझुनूं कलेक्टर ने सीएमएचओ को भेजी। इसके बाद सीएमएचओ ने यह चार्जशीट निदेशक को भिजवाई है। जो एक तरह का सिर्फ आदान—प्रदान का काम है। इससे ज्यादा कुछ नहीं। पूरे प्रकरण में पिछले सप्ताहभर से विवाद बना हुआ है। लेकिन फिर भी सीएमएचओ डॉ. राजकुमार डांगी मामले में कोई कड़ा कदम उठाकर अच्छा संदेश नहीं दे रहे है। आपको यहां यह भी बता दें कि जिले के प्रभारी सचिव डॉ. समित शर्मा ने भी इस प्रकरण को अपनी बैठक में उठाया था। इसे लेकर भी यह बात सामने आई थी कि सीएमएचओ डॉ. राजकुमार डांगी ने हरिसिंह पायल और पायल अस्पताल को लेकर तरफदारी की थी। तो उन्हें जिले के प्रभारी सचिव ने फटकार लगाई थी। बहरहाल, अब देखने वाली बात यह होगी कि सीएमएचओ कोई कदम उठा पाते है या फिर नहीं।