झुंझुनूं। शहर की डॉ. शालू टीबड़ा को गुरुवार को शेखावाटी यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में गोल्ड मैडल मिला है। डॉ. शालू टीबड़ा ने सेठ मोतीलाल लॉ कॉलेज से पढाई करते हुए ना केवल एलएलबी की। बल्कि पूरी यूनिवर्सिटी को 2022 में टॉप किया। जिसके चलते गुरूवार को महामहिम राज्यपाल कलराज मिश्र व यूनिवर्सिटी वीसी अनिल रॉय के आतिथ्य में हुए कार्यक्रम में डॉ. शालू टीबड़ा को गोल्ड मैडल दिया गया। 35 वर्षीया डॉ. शालू टीबड़ा, महिलाओं के लिए एक आदर्श के रूप में सामने आई है। दरअसल डॉ. शालू टीबड़ा शहर के स्वर्गीय सूर्यकांत पंसारी की बेटी है। जिसकी शादी 2011 में शहर के हार्डवेयर व्यवसायी अनुराग टीबड़ा के साथ हुई थी। डॉ. शालू टीबड़ा ने शादी के बाद भी पढाई नहीं छोड़ी। हालांकि जब 2011 में डॉ. शालू की शादी हुई थी। तब उन्होंने सीएस फाइनल का एग्जाम दिया था।
इसके बाद डॉ. शालू ने एबीएसटी सब्जेक्ट से एमकॉम की और इसके बाद बैकिंग सेक्टर में टैलेंट मैनेजमेंट पर एक निजी विश्वविद्यालय से पीएचडी भी की। जब डॉ. शालू एमकॉम की पढाई कर रही थी। तब वे गर्भवती हो गई। लेकिन सभी विषम परिस्थितियों में सास कांता टीबड़ा और पति अनुराग टीबड़ा के सपोर्ट से ना केवल एमकॉम अच्छे नंबरों से पास की। बल्कि इसके बाद एलएलबी की पढाई शुरू कर दी। एलएलबी में तीन साल पढाई करने के बाद डॉ. शालू टीबड़ा ने यूनिवर्सिटी टॉप कर उन महिलाओं के लिए प्रेरणा के रूप में सामने आई है। जो महिलाएं, शादी के बाद पढाई छोड़ देती है या फिर नहीं कर पाती है। डॉ. शालू नौ साल के सादर्श टीबड़ा की मां भी है। ऐसे में बहू, पत्नी और मां का फर्ज निभाने के साथ—साथ डॉ. शालू ने एक अच्छे स्टूडेंट्स का भी रोल अदा कर टॉप किया है।
घर—परिवार, बच्चे के साथ कंपनी भी संभाली
डॉ. शालू ने ना केवल शादी के बाद घर, परिवार, बच्चे की जिम्मेदारी संभाली। स्टूडेंट के रोल में भी पूरी कर्मठता दिखाई। वहीं एक कंपनी की जिम्मेदारी भी संभाली। सीएस बनने के बाद डॉ. शालू टीबड़ा ने बैंगलोर की एक कंपनी को 2014 में बतौर सीएस ज्वाइन किया और अपने कार्य को बखूबी किया। डॉ. शालू 10 सालों तक वर्क फ्रॉम होम के तहत काम करती रही और बीच—बीच में कंपनी की मिटिंगों में भी जाती रही। करीब छह महीने पहले ही डॉ. शालू ने जॉब छोड़ दिया। लेकिन अभी भी वे और पढाई करना चाहती है।
परेशानियां फेस करनी पड़ी, पर निगेटिव बातों को इग्नोर किया
डॉ. शालू टीबड़ा ने बताया कि शादी के बाद पढाई करते वक्त काफी निगेटिव बातें सुनने को मिलती थी। लेकिन उन्होंने कभी भी निगेटिव बातों पर ध्यान नहीं दिया। सास कांतादेवी तथा पति अनुराग का सपोर्ट मिला और पढती चली गई। डॉ. शालू ने बताया कि एक विवाहिता महिला के सामने पढाई करने में दिक्कत आनी तय है। लेकिन हमें निगेटिव बातों को छोड़कर अपने लक्ष्य की ओर ध्यान रखना चाहिए। जब रिजल्ट पॉजिटिव आते है। तो सभी निगेटिव बातें आई—गई हो जाती है। उन्होंने कहा कि शादी के बाद अन्य कामों में समय जाया करने की बजाय यदि हम पढाई करें या फिर जिस भी चीज में शौक है। वो पूरा करें तो हम अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते है।
जारी रखूंगी पढाई, फिलहाल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का मूड
डॉ. शालू टीबड़ा ने बताया कि अब उनका बेटा सादर्श नौ साल का हो गया है। सीएस के साथ एलएलबी की जरूरत महसूस हुई तो एलएलबी की। लेकिन अब एलएलबी में ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का मूड बना है। हालांकि तय कुछ नहीं। लेकिन पढाई जारी रखूंगी। यह तय है।