झुंझुनूं। चुड़ैला में स्थित जगदीशप्रसाद झाबरमल टीबड़ेवाला यूलिवर्सिटी एक बार फिर विवादों में आ गई है। दरअसल यूनिवर्सिटी के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। जिसमें खिलाड़ी हंगामा कर रहे हैं तो वहीं यूनिवर्सिटी के कथित कोच और रैफरी दूसरी टीमों के कोच के साथ किसी बदसलूकी कर रहे हैं। इस मामले में यूनिवर्सिटी ने चुप्पी साध ली है। जानकारी के मुताबिक यूनिवर्सिटी में आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटीज ग्रेपलिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा था। इस दौरान देश की अलग—अलग यूनिवर्सिटी से खिलाड़ी खेलने आए हुए थे। खिलाड़ियों को खिलाने की बात पर आपत्ति जताने पर प्रतियोगिता के दौरान हंगामा हो गया। जिसके वीडियो भी मौजूद खिलाड़ियों ने बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए।

इन वीडियो में खिलाड़ी आरोप लगा रहे हैं कि यूनिवर्सिटी गलत तरीके से अपने खिलाड़ियों को सीधे फाइनल में एंट्री दे रही है। वहीं कुछ खिलाड़ियों ने पैसे लेकर यूनिवर्सिटी पर मैडल बेचने का आरोप लगा रहे हैं। इस मामले में यूनिवर्सिटी के प्रेजीडेंट डॉ. देवेंद्र सिंह ढुल से बातचीत करने की कोशिश की गई। लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। वहीं बताया जा रहा है कि हंगामा बढ़ते हुए चुड़ैला चौकी के पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे और समझाइश करवाई। हालांकि अब पुलिस भी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रही है। जिससे यूनिवर्सिटी की दबंगई का भी साफ—साफ पता चलता है। बहरहाल, अब इस मामले में यूनिवर्सिटी के पक्ष का इंतजार है। लेकिन इन वीडियो के वायरल होने के बाद यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों में आ गई है। हम वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करते और यूनिवर्सिटी द्वारा इस मामले में प्रतिक्रिया का भी इंतजार रहेगा।

इधर, ग्रेपलिंग कमेटी ने कहा-हमने मना किया था कि अभी मत करवाओ चैंपियनशिप
इधर, इस मामले में ग्रेपलिंग कमेटी आफ इंडिया भी कूद गई है। रेसलिंग फैडरेशन से संबद्ध कमेटी के चेयरमैन दिनेश कपूर ने इस प्रतियोगिता को ही गलत और नियमों के विरूद्ध बताया है। उन्होंने मीडिया को इस मामले में कुछ लेटर उपलब्ध करवाए हैं। जिसमें उन्होंने कहा है कि अगस्त 2023 में यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार डॉ. मधु गुप्ता ने कमेटी के साथ तीन साल का एमओयू किया था। यह प्रतियोगिता 16 से 20 फरवरी तक आयोजित होनी थी। लेकिन विवाद बढ़ता देख और खिलाड़ियों के विरोध के कारण यूनिवर्सिटी ने आनन फानन में 19 फरवरी की रात को ही प्रतियोगिता का समापन कर दिया।
उन्होंने कहा कि 16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया गया था। इसलिए 15 फरवरी को उन्होंने ना केवल यूनिवर्सिटी, बल्कि पुलिस और प्रशासन को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी ग्रेपलिंग प्रतियोगिता को स्थगित किया जाए। क्योंकि किसान आंदोलन के कारण हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, यूपी, राजस्थानी समेत उत्तरी क्षेत्र में रास्ते बंद और माहौल खराब है। ऐसे में महिला खिलाड़ियों के सामने भी सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है। बावजूद इसके यूनिवर्सिटी ने प्रतियोगिता स्थगित नहीं की। यही नहीं उन्होंने एक दूसरी फैडरेशन, जिसका केस अभी न्यायालय में चल रहा है। उसके द्वारा यह प्रतियोगिता आयोजित कर डाली। जो गलत है। उन्होंने यहां तक आरोप लगाया है कि यूनिवर्सिटी ने सांठ गांठ कर राजस्थान के युवाओं के नाम से हरियाणा के खिलाड़ियों को खिलाया और उन्हें नौकरी में फायदा देने के लिए गलत ढंग से मैडल भी जितवाए। जिसकी जांच होनी चाहिए। इधर, इस मामले में यूनिवर्सिटी के खेल निदेशक डॉ. अरूण कुमार ने कुछ यूनिवर्सिटी पर अनुशासनहीनता और गलत तरीके से कोच भेजने का आरोप तो लगाया है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक कुछ नहीं किया।