Sunday, February 9, 2025
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जिले का एकमात्र ऐसा उपखंड मुख्यालय है बुहाना, जो रोडवेज बस सेवा से वंचित, दर्जनों गांवों में तो प्राइवेट बसें तक नहीं आती

बुहाना। जिले में एकमात्र उपखंड मुख्यालय है बुहाना, जो कि रोडवेज बस सेवा से वंचित है। हरियाणा सीमा से जुड़ने के साथ इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सरकारी विभाग मौजूद है। लेकिन परिवहन विभाग रोडवेज की सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। इससे कर्मचारियों सहित ग्रामीणों को खासी परेशानी हो रही है। खास बात है दो दर्जन से अधिक ऐसे गांव व पचांयत हैं जिनमें रोडवेज तो क्या निजी बस सेवा तक उपलब्ध नहीं है। हालांकि उपखंड मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिंघाना से होते हुए दिल्ली, जयपुर, बीकानेर, हरिद्वार जिला मुख्यालय झुंझुनूं समेत पड़ौसी राज्य हरियाणा के लिए रोडवेज बसों का संचालन हो रहा है। बुहाना आस-पास के ग्रामीणों को लंबी दूरी की बसों के लिए मजबूरन चिड़ावा सिंघाना जाना पड़ता है। बस सुविधा नहीं होने से जिनके पास निजी वाहन नहीं हैं। ऐसे ग्रामीण 5 से 10 किलोमीटर तक आने जाने में ही पूरा दिन खराब करते हैं। समय के साथ आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। दर्जनों गांवों के लोग रोडवेज सुविधा जुटाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

इन गांवों में नहीं हैं कोई बस सेवा
बुहाना पंचायत समिति में ऐसे कई गांवों आज भी मौजूद हैं। जहां यातायात सुविधा का कोई साधन नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों को परिवहन व्यवस्था चाहकर भी सुलभ नहीं हो पाई। मेघपुर पांथरोली, रायपुर अहीरान, सांतौर, देवलावास, शिवपुरा, चुड़ीना, ढाणी भालोठ, झारोड़ा, जैतपुर, लांबी अहीर, उदामांडी समेत कई पंचायत व गांव हैं। जिनमें रोडवेज तो क्या निजी बस सेवा तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे में लोगों को दैनिक कार्यों के लिए आने जाने के लिए दिक्कत होती हैं। साधन संपन्न लोग तो अपने नीजी वाहन काम ले लेते हैं। जिनके पास नहीं हैं उन लोगों को नीजी बस पकड़ने के लिए भी पांच-सात किलोमीटर पैदल चलना पड़ता हैं।

दिनभर में एक बस
पूरे दिन में महज एक रोडवेज बस गुजरती है। जाे जयपुर से हरियाणा के भिवानी जाती हैं। शाम छह बजे के बाद बुहाना मुख्यालय से जाने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में बसों के संचालन के लिए स्थानीय प्रशासन, विधायक, सांसद परिवहन निगम से मांग कर चुके है।

रोडवेज चले तो यह होगा फायदा
उपखंड मुख्यालय से रोडवेज बसों का संचालन शुरु होने से हरियाणा बॉर्डर से सटी 25 से ज्यादा पंचायतों के यात्रियों को फायदा हो सकता है। लोगों को बुहाना, सिंघाना, चिड़ावा आकर ही दूर-दराज की यात्रा के लिए बस की सुविधा मिलने से राहत मिलेगी। वहीं रोडवेज निगम को लाखों का राजस्व मिल सकता है। बता दें कि उपखंड मुख्यालय से पचेरी कलां, चिड़ावा, सूरजगढ़, सिंघाना, सतनाली, महेंद्रगढ़ सड़क मार्ग पर पर्याप्त यात्री भार है। इन रुट पर रोडवेज की बसों का संचालन नहीं होने से निजी बस संचालक चांदी कूट रहे है। बुहाना से चिड़ावा, सतनाली, सिंघाना, पचेरी, महेंद्रगढ़ रूट पर चलने वाले निजी बस संचालक यात्रियों से मनमाना किराया वसूल करते है। आवागमन के दूसरा विकल्प नहीं होने से यात्रियों को मजबूरन इनका सहारा लेना पड़ रहा है।

ऐसे बन सकती है बात
झुंझुनूं से दिल्ली के लिए हर घंटे में बस रवाना होती है। जो सिंघाना, पचेरी होकर जाती है। यदि इन बसों में से कुछ बस चिड़ावा से सूरजगढ़—बुहाना—पचेरी होकर जाए तो लोगों को काफी राहत मिल सकती है। इससे दिल्ली और जिला मुख्यालय से सीधा जुड़ाव हो जाएगा।

इनका कहना है…

नीरु यादव, सरपंच लांबी अहीर

इससे बड़ी विडंबना की क्या बात हो सकती है कि आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी राज्य पथ परिवहन निगम की बसों का ग्रामीण क्षेत्र में आवागमन नहीं हुआ है। बसों का संचालन नहीं होने से उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले युवा और दैनिक काम के लिए एक से दूसरे स्थान पर जाने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।
— नीरु यादव, सरपंच लांबी अहीर

प्रमोद यादव, पांथरोली

मेघपुर, पांथरोली, सांतौर, रायपुर अहीरान, पथाना, निहालोठ गांव में रोडवेज या प्राइवेट कोई भी बस सेवा नहीं होने से आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गांव के लोगों को पचेरी आकर प्राइवेट बस पकड़नी पड़ती है। ग्रामीणों को पांच से नौ किलोमीटर तक दूरी पैदल या निजी वाहन से तय करनी पड़ती हैं। बस सुविधा नहीं होने से लोगों भारी परेशानी हो रही है।
— प्रमोद यादव, पांथरोली

रघुवीर सिंह बोहरा, शिक्षाविद

उपखंड मुख्यालय बुहाना पर सरकारी, निजी कॉलेज के अलावा सभी सरकारी दफ्तर है। काफी युवा शिक्षा के लिए बुहाना आते है। रोडवेज सेवा नहीं होने से उन्हें बुहाना आने के लिए निजी वाहनों में अधिक किराया देकर सफर तय करना पड़ रहा है। गांवों को रोजवेज बस सेवा से जोड़ दिया जाए तो इससे विद्यार्थियों के साथ ग्रामीणों को काफी सहुलियत हो सकेगी।
— रघुवीर सिंह बोहरा, शिक्षाविद