चिड़ावा। एसडीएम बृजेश कुमार ने जखोड़ा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का औचक निरीक्षण किया है। औचक निरीक्षण में अस्पताल के अलग—अलग कमरों में भारी मात्रा में ना केवल अवधिपार दवा मिली है। बल्कि कॉटन के पैकेट भी मिले है। जो दो साल पहले ही एक्सपायरी हो गए थे। लेकिन उन्हें फिर भी केंद्र के कमरों में इधर—उधर रख रखा था। वहीं वार्डों में भी मिट्टी जमी हुई थी। जिस पर एसडीएम बृजेश कुमार नाराज दिखे। जब एसडीएम बृजेश कुमार ने इस मामले को लेकर चिड़ावा बीसीएमओ डॉ. तेजपाल कटेवा से बात की तो उन्होंने बताया कि दो दिन पहले उन्होंने भी पीएचसी का निरीक्षण किया था। तो एसडीएम ने उन्हें कहा कि यह तो और भी शर्मनाक बात है कि आपने अस्पताल का निरीक्षण किया और इतनी लापरवाही नजर नहीं आई।
वहीं अस्पताल का बायो वेस्ट भी गाइडलाइन के मुताबिक निस्तारित करने की बजाय सामान्य कूड़े की तरह रखा गया था। जो भी गंभीर विषय है। इधर, जब हाजिरी रजिस्टर चैक किया तो अस्पताल के चिकित्सक डॉ. नितेश राज ड्यूटी से नदारद मिले। वहीं मेल नर्स हरिसिंह तो चार दिन से बिन बताए गायब थे। जिनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बीसीएमओ को निर्देश दिए गए है। एसडीएम बृजेश कुमार ने बताया कि जिस तरह के हालात जखोड़ा पीएचसी के मिले है। उन्हें सही नहीं कहा जा सकता। इस तरह के निरीक्षण लगातार जारी रहेंगे। साथ ही बीसीएमओ को निर्देश दिए गए है कि अवधि पार दवा और बायोवेस्ट निस्तारण को सुनिश्चित किया जाए। निरीक्षण में एसडीएम बृजेश कुमार के साथ अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी कैलाश कविया भी थे।
सीएमएचओ डॉ. डांगी के सख्त निर्देश : ना तो दवा और ना ही जांच करवानी पड़े मरीजों को बाहर से

सीएमएचओ डॉ. राजकुमार डांगी अस्पताल की सुविधाओं को लेकर सख्त नजर आ रहे है। इसी क्रम में औचक निरीक्षण पर सिंघाना सीएचसी पहुंचे डॉ. राजकुमार डांगी ने पूरे अस्पताल का निरीक्षण किया और मरीजों व उनके साथ आए परिवारजनों से बातचीत की। डॉ. डांगी के सामने आया कि लगभग सभी दवा मरीजों को फ्री उपलब्ध करवाई जा रही है। लेकिन एक—दो इंजेक्शन अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण वो इंजेक्शन मरीजों को बाहर से खरीदने पड़ रहे हैं। यही नहीं डेंगू जैसे मरीजों को जांच भी अस्पताल से बाहर करवानी पड़ रही है। जिस पर सीएमएचओ डॉ. राजकुमार डांगी ने अस्पताल प्रभारी डॉ. धर्मेंद्र सैनी को स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि कोई मरीज बाहर से दवा लाता है या फिर बाहर से जांच करवाता है। तो यह निश्चित रूप से मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना और मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के विपरित है। उन्होंने अस्पताल प्रभारी डॉ. सैनी को अस्पताल स्तर पर ही अनुपलब्ध दवा या फिर इंजेक्शन को खरीद कर मरीजों को उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। इसके अलावा निर्देशित किया कि डेंगू की जांच अस्पताल में ही रेपिड किट से की जाए। यदि रेपिड किट उपलब्ध नहीं है तो प्लेटरेट्स के आधार पर ही मरीजों को ईलाज दिया जाए। लेकिन बाहर से जांच ना करवाई जाए।