झुंझुनूं। क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की पालना को लेकर जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल सख्त हो गई है। जिला कलेक्टर ने 6 संस्थानों पर एक्ट की पालना नहीं करने एवं एक्ट के न्यूनतम मानकों के अनुरूप कार्य नहीं करने वाले संस्थानों पर 3 लाख 20 हजार रूपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही एक लैब का आवेदन भी निरस्त किया है। कलेक्टर गोपाल ने सीएमएचओ डॉ. राजकुमार डांगी को प्रभावी कार्रवाई एवं अधिकतम पेनल्टी लगाने के निर्देश दिए हैं। ताकि मरीज को गुणवत्तापूर्ण जांचों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। एक्ट की पालना के लिए जिला कलेक्टर वाली अध्यक्षता वाली जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण कमेटी की 22 मई को हुई बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए। जिसमें झुंझुनूं जिला मुख्यालय स्थित आरएनजेपी डायग्नोस्टिक सेंटर, रविंद्र अस्पताल में संचालित लैब, चिड़ावा के सरकारी अस्पताल सामने स्थित भारत लैब और सीसीएल लैब पर किए गए निरीक्षण में बिना रजिस्ट्रेशन पाए जाने एवं एक्ट की पालना नहीं करने पर 50-50 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना पहली बार निरीक्षण में एक्ट के मानकों के अनुरूप सेवाएं व संसाधन नहीं मिलने पर लगाया गया है। दोबारा एक्ट के उल्लंघन पर दो लाख तक का और इसके बाद भी पुनरावृत्ति की जाती है तो पांच लाख रूपए तक का जुर्माना लगाया जाना संभव है।
जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने सीएमएचओ को इस मामले में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरतने के निर्देश दिए हैं तथा निरंतर लैब के निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। जिला कलेक्टर ने माइक्रो केयर लैब का आवेदन भी निरस्त कर दिया। क्योंकि लैब संचालक द्वारा आवेदन के बाद स्मरण पत्र भेजने के बाद भी निर्धारित दस्तावेजों की पूर्ति नहीं की गई। साथ ही चिड़ावा स्थित पायल अस्पताल एवं डायग्नोस्टिक सेंटर और झुंझुनू जिला मुख्यालय स्थित बालाजी ऑर्थोपेडिक्स एवं जनरल अस्पताल पर भी बिना रजिस्ट्रेशन के लैब संचालित करने एवं एक्ट के न्यूनतम मानकों के अनुरूप सेवाएं नहीं देने के चलते दोनों पर 60-60 हजार रुपए की पेनल्टी लगाई गई है। सीएमएचओ डॉ. राजकुमार डांगी ने बताया कि कि इस प्रकार के निरीक्षण जिले भर में नियमित तौर पर किए जाएंगे। साथ ही एक्ट की पालना नहीं करने वाले लैब एवं डायग्नोस्टिक सेंटर के मालिकों के विरोध एक्ट के प्रावधान अनुसार पेनल्टी लगाते हुए कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसलिए सभी लैब संचालकों से अनुरोध है कि जुर्माने और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए एक्ट के प्रावधान अनुसार रजिस्ट्रेशन के बाद ही लैब का संचालन करे और एक्ट के मानकों के अनुरूप ही मरीजों को सेवाएं प्रदान करें।