झुंझुनूं । गांव बुगाला में मेघवाल बस्ती में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के एक व्यक्ति को अकस्मात आई बीमारी के चलते एक पैर गंवाना पड़ा। वहीं 57 वर्षीय कैलाश मीणा दुर्गा प्रसाद का बड़ा बेटा है। वह लगभग 15 साल से नरेगा में कार्य कर परिवार का भरण पोषण करता है। तीन महीने पहले पैर में आए अचानक दर्द ने इन्हें विकलांग बना दिया।
किसान नेता सुभाष बुगालिया ने बताया कि पहले तो परिजन उसे गुढ़ागौड़जी अस्पताल ले गए। वहां आराम नहीं मिलने से झुंझुनूं दिखाया। झुंझुनूं के डॉक्टरों ने जयपुर जाने की सलाह दी। जयपुर के मरुधर अस्पताल में इलाज शुरू हुआ। परंतु वहां के डॉक्टर ने जांच के दौरान बाएं पैर में कैंसर होने की कह कर बीकानेर ले जाने को कहा। बीकानेर के एमएन अस्पताल व रिसर्च सेंटर में इलाज शुरू हुआ। पैर की नसें ब्लॉक होने से तीन जगह से पैर को काटना पड़ा। जिससे आंखों की रोशनी भी चली गई। सभी प्रकार की जांचों व गाड़ियों में आने जाने पर लगभग दो लाख रुपए खर्च हो गए। नरेगा के अलावा कमाई का ओर कोई जरिया नहीं है। इनके परिवार में पत्नी विमला देवी व 6 बेटियां हैं। जिनमें दो बेटियों की शादी करदी। एक बेटी सीमा सीकर में नर्सिंग कर रही है। वहीं शिवानी एएनएम कर रही है। दो बेटियां मुरारका कॉलेज झुंझुनूं में पढ़ रही हैं। इनके विकलांग हो जाने से परिवार टूट सा गया है।
कोई सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
कैलाश की पत्नी विमला देवी ने बताया कि इन्हें सिर्फ राशन के गेहूं के अलावा कोई भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। न अभी तक उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन दिया गया तथा ना ही शौचालय का पैसा मिला है।
आर्थिक तंगी की जानकारी मिलने पर मदद को आगे आ रहे हैं लोग
बुगाला निवासी कैलाश मीणा के इलाज पर परिजनों का सबकुछ दांव पर लग गया। पैर कट जाने के कारण वह खुद चारपाई से उठ नहीं सकता। ऐसे में परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया। ग्रामीणों को जब इसकी जानकारी मिली तो वे मदद को आगे आए। ग्रामीण भामाशाहों से संपर्क कर परिवार की मदद करवा रहे हैं।