झुंझुनूं। यमुना जल महासंघर्ष समिति झुंझुनूं की बैठक मंगलवार को अंबेडकर पार्क झुंझुनूं में संपन्न हुई। बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा खेतड़ीनगर व नवलगढ़ की सभाओं में नहर के एमओयू के बारे में किए गए एमओयू के बारे में 1994 के समझौते के मुताबिक सिंचाई व पीने के संपूर्ण पानी आवंटन के बारे में बोले गए झूठ का जनता के बीच पर्दाफाश कर संघर्ष के लिए तैयार करने का निर्णय किया है। यमुना जल महासंघर्ष समिति ने तय किया कि इस संबंध में अगले सप्ताह से पोल खोल भंडाफोड़ नहर चेतना जनजागरण यात्रा का आगाज किया जाएगा।
जिलेभर में कई प्रचार दल ग्राम ग्राम जाकर जनसंपर्क कर राज्य सरकार द्वारा फैलाए जा रहे झूठ का पर्दाफाश कर लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान किया जाएगा। बैठक में क्षेत्रवार जिम्मेदारियां भी दी गई। बैठक को कामरेड फूलचंद ढेवा, कामरेड फूलचंद बर्वर, कामरेड रामचंद्र कुलहरि, विनोद कुमार एडवोकेट, कामरेड सुमेर सिंह बुडानिया, मदनसिंह यादव, कामरेड गिरधारीलाल महला, इंद्राज सिंह चारावास, बजरंगलाल बराला, सुमेर सिंह महला, पंकज गुर्जर, मानसिंह यादव, दीपक, विजेंद्र सिंह कुलहरि व जब्बार खान आदि शामिल थे।
इधर, हाईकोर्ट में यमुना के पानी को लेकर हुई सुनवाई में सरकार ने पेश नहीं की स्टेट्स रिपोर्ट
यमुना को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका की तारीख़ पर राज्य सरकार ने स्टेट्स रिपोर्ट पेश नहीं की। याचिकाकर्ता यशवर्धन सिंह ने बताया कि यमुना के पानी को लेकर हरियाणा से गत दिनों डीपीआर को लेकर हुए समझौते के बाद शेखावाटी की जनता को उम्मीद थी कि सरकार जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान एमओयू को लेकर स्टेटस रिपोर्ट पेश करेगी। मगर सरकार की ओर से हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं की गई।
जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 2 अप्रेल को होगी। यमुना जल संघर्ष समिति संयोजक यशवर्धन सिंह ने बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के विधानसभा में दिए गए भाषण के बाद हरियाणा की मंशा पर सवाल खड़े हो गए हैं। शेखावाटी की जनता अब जानना चाहती है कि एमओयू में किस तरह से पानी लाने को लेकर सहमति बनी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने अपने विधानसभा में दिए गए भाषण में कहा था कि हरियाणा पहले 24000 क्यूसेक पानी रखेगा। उसके बाद कोई पानी बचेगा तो झुंझुनूं सहित शेखावाटी को दिया जाएगा। उसके लिए भी उन्होंने शर्त बताते हुए कहा था कि एक चौथाई हिस्सा हरियाणा रखेगा। ऐसे में अब सरकार द्वारा स्टेटस रिपोर्ट फाइल नहीं करना समझौते को लेकर सवाल खड़े करती है। आपको बता दें कि यमुना के पानी के लिए किस पुरानी डीपीआर को मंजूर करने की मांग को लेकर गांव-गांव में धरना दे रहे हैं। किसानों की मांग है कि सरकार वर्ष 2019 में बनी डीपीआर को तत्काल प्रभाव से मंजूर करवाते हुए काम शुरू करवाए ताकि पानी लाने की योजना धरातल पर उतर सके।