Sunday, March 23, 2025
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ओला परिवार आठवीं बार झुंझुनूं से लोकसभा चुनाव लड़ेगा, शीशराम ओला के बेटे विधायक बृजेन्द्र को मिला कांग्रेस का टिकट

झुंझुनूं। कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय शीशराम ओला के परिवार का सदस्य आठवीं बार झुंझुनूं लोकसभा से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ेगा। बीते करीब तीन दशक में एक बार 2019 को छोड़ दें तो हर बार कांग्रेस की टिकट ओला परिवार को मिली और उन्होंने चुनाव लड़ा। इस बार परिवार के तीसरे सदस्य बृजेंद्र ओला झुंझुनूं से लोकसभा उम्मीदवार होंगे। मंगलवार को कांग्रेस ने राजस्थान की 10 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा की गई है। एक बार फिर कांग्रेस ने ओला परिवार को टिकट देते हुए स्वर्गीय शीशराम ओला के पुत्र, पूर्व मंत्री और मौजूदा झुंझुनूं विधायक बृजेंद्र ओला को टिकट देकर उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है।
ओला परिवार और लोकसभा चुनाव की चर्चा करें तो सबसे पहला चुनाव शीशराम ओला ने 1980 में कांग्रेस आई से लड़ा था। उस वक्त जनता पार्टी के भीमसिंह ने चुनाव जीता। उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस यू से सुमित्रा सिंह थी। तीनों के बीच करीबी मुकाबला रहा था। लेकिन शीशराम ओला अपना पहला चुनाव नहीं जीत पाए थे। इसके बाद करीब 16 साल बाद फिर 1996 में शीशराम ओला ने लोकसभा चुनाव लड़ा। इसके बाद वे कभी चुनाव नहीं हारे। 1996 में उन्होंने तिवाड़ी कांग्रेस से चुनाव लड़ा और भाजपा के मातूराम सैनी को चुनाव हराया। इस चुनाव में कांग्रेस की तरफ से अयूब खान चुनाव मैदान में थे।
इसके बाद 1998 में शीशराम ओला ने कांग्रेस सेक्यूलर से चुनाव लड़ा और भाजपा के मदनलाल सैनी को चुनाव हराया। 1998 में कांग्रेस की टिकट जगदीप धनखड़ के पास थी। लेकिन वे भी शीशराम ओला को चुनाव नहीं हरा सके। 1999 में कांग्रेस की टिकट शीशराम ओला के पास थी और उन्होंने भाजपा के मदनलाल सैनी को चुनाव हराया। इसके बाद 2004 में भाजपा की संतोष अहलावत को, 2009 में डॉ. दशरथसिंह को चुनाव हराया। 2013 में शीशराम ओला का निधन हो गया। जिस वक्त उनका निधन हुआ। वे केंद्र में मंत्री थे। इसके बाद 2014 के चुनावों में उनकी पुत्रवधु डॉ. राजबाला ओला को कांग्रेस ने टिकट दिया गया। लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाई और संतोष अहलावत ने बड़े अंतर से मोदी लहर में चुनाव जीता।
2014 का साल पहला मौका था। जब झुंझुनूं लोकसभा में भाजपा का फूल खिला। इसके बाद 2019 में भाजपा के नरेंद्र कुमार चुनाव जीते। लेकिन इस बार मुकाबला ओला परिवार से नहीं, बल्कि कांग्रेस नेता श्रवण कुमार से था। अब एक बार फिर 2024 में कांग्रेस ने ओला परिवार के सदस्य, दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे और इस बार चौथी बार झुंझुनूं से विधायक बृजेंद्र ओला को टिकट दिया है।

सरपंच से सफर शुरू किया, तीन बार हारे, लेकिन अबकी बार, चौथी बार जीते
बृजेंद्र ओला ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1988 अरड़ावता ग्राम पंचायत में सरपंच के पद से शुरू की। इसके बाद वे जिला प्रमुख बनें। दो बार कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रहे। 1996 में हुए उप चुनाव में झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा और भाजपा के डॉ. मूलसिंह से चुनाव हार गए। इसके बाद 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी सुमित्रा सिंह से चुनाव हार गए। 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की सुमित्रा सिंह ने बृजेंद्र ओला को फिर मात दी। लगातार तीन हार के बाद 2008 में बृजेंद्र ओला का विजयी रथ चला था। जो अब तक चालू है। बृजेंद्र ओला पर 2008 में कांग्रेस पार्टी ने फिर से भरोसा जताया और 2008 के चुनाव में बृजेंद्र ओला कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते और मंत्री बने। 2013 के चुनाव में फिर बृजेंद्र ओला कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक चुने गए। 2018 के विधानसभा चुनाव में बृजेंद्र ओला ने 40565 मतों से बड़ी जीत दर्ज की तथा अशोक गहलोत सरकार में सड़क सुरक्षा एवं परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बने है। 2023में हुए विधानसभा चुनाव ने बृजेंद्र ओला ने भाजपा को फिर पटखनी देते हुए चौथी बार चुनाव जीते।

मान नगर कार्यालय में हुई आतिशबाजी

ओला के टिकट की घोषणा होने के बाद झुंझुनूं शहर के मान नगर स्थित कांग्रेस भवन में बड़ी संख्या में कांग्रेस पदाधिकारी, नेता और कार्यकर्ता इकट्ठा हुए। जिन्होंने जमकर आतिशबाजी की और एक—दूसरे को मिठाई खिलाई। इस मौके पर झुंझुनूं ब्लॉक अध्यक्ष नगर परिषद पार्षद अजमत अली ने कहा कि ओला परिवार की झुंझुनूं लोकसभा सीट पर हमेशा से कब्जा रहा। लेकिन भाजपा के झूठ के कारण झुंझुनूं के लोगों ने दो बार भाजपा के उम्मीदवारों को चुनाव जिताया। लेकिन विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ। इस बार कांग्रेस ने बृजेंद्र ओला को चुनाव मैदान में उताकर एक बार फिर झुंझुनूं लोकसभा सीट पर कांग्रेस की जीत को पक्की कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे आलाकमान को विश्वास दिलाते है कि झुंझुनूं लोकसभा सीट कांग्रेस उम्मीदवार बृजेंद्र ओला भारी मतों से जीतेंगे। इस मौके पर उप सभापति राकेश झाझड़िया, विद्याधर ज्यानी, मनफूल बिजारणियां आदि मौजूद थे।

कांग्रेस का दावा इसलिए भारी, क्योंकि आठ में से छह सीटें कांग्रेस के पास
झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस अपना दावा भारी इसलिए भी बताती है। क्योंकि आठ विधानसभा सीटों में से छह कांग्रेस के पास है। खेतड़ी और नवलगढ़ को छोड़ दें तो झुंझुनूं, पिलानी, सूरजगढ़, मंडावा, उदयपुरवाटी और फतेहपुर विधानसभा सीटें कांग्रेस के खाते में है। इनमें से भी झुंझुनूं से खुद बृजेंद्र ओला विधायक है। जबकि पिलानी, उदयपुरवाटी और फतेहपुर में भी माना जाता है कि ओला के समर्थक ही विधायक है। तीनों की जीत में ओला की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। रही बात मंडावा और सूरजगढ़ की तो पहले यहां के दोनों विधायक रीटा चौधरी व श्रवण कुमार से ओला के 36 के आंकड़े थे। लेकिन सियासी हलकों में चर्चा है कि गत विधानसभा चुनावों से दोनों के साथ भी ओला के पहले से कहीं बेहतर संबंध है।

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