Sunday, March 23, 2025
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एक दशक बाद फिर से ‘ओला परिवार’ में लौटी सांसदी, 1996 की याद हुई ताजा, शीशराम ओला भी विधायक रहते हुए पहली बार बने थे सांसद

झुंझुनूं। एक दशक बाद फिर से ओला परिवार में सांसदी लौट आई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला के बाद उनके बेटे बृजेंद्र ओला ने सांसद का चुनाव जीत लिया है। उन्होंने बीजेपी के शुभकरण चौधरी को 18235 वोटों से हराया। कांग्रेस के बृजेंद्र ओला को 5 लाख 53 हजार 168 वोट मिले। जबकि बीजेपी के शुभकरण चौधरी को 5 लाख 34 हजार 933 वोट मिले। शेष छह उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। नोट के खाते में 6632 वोट गए। खास बात यह रही कि ईवीएम मशीनों से निकले वोट और पोस्टल बैलेट से निकले वोट, दोनों में ही कांग्रेस बहुमत में रही। वहीं झुुंझुनूं, फतेहपुर, मंडावा और पिलानी में कांग्रेस को लीड मिली। तो खेतड़ी, नवलगढ़, सूरजगढ़ और उदयपुरवाटी में बीजेपी को लीड मिली। चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी चिन्यमी गोपाल ने बृजेंद्र ओला को निर्वाचन सर्टिफिकेट दिया।

इस मौके पर ना केवल ओला परिवार की तीन पीढी एक साथ मौजूद थी। बल्कि कांग्रेस का परिवार भी मौजूद रहा। पूरे चुनाव में यही परिवार ओला की जीत का मुख्य आधार रहा। ओला परिवार तो चुनावों में साथ था ही। लेकिन कांग्रेस ने भी एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा। जिला निर्वाचन अधिकारी चिन्मयी गोपाल ने जब बृजेंद्र ओला को सर्टिफिकेट दिया तो कांग्रेस और ओला परिवार के सदस्यों ने ताली बजाकर खुशी मनाई। इस मौके पर ओला परिवार से बृजेंद्र ओला की पत्नी पूर्व जिला प्रमुख डॉ. राजबाला ओला, पुत्र चिड़ावा पंचायत समिति अमित ओला, उनकी पुत्रवधु व महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय समन्वयक आकांक्षा ओला तथा दोनों पोते मौजूद थे। वहीं कांग्रेस परिवार की ओर से कांग्रेस जिलाध्यक्ष दिनेश सुंडा, फतेहपुर विधायक हाकम अली, मंडावा विधायक रीटा चौधरी, उदयपुरवाटी विधायक भगवानाराम सैनी तथा पिलानी विधायक पितराम काला मौजूद रहे। निर्वाचन सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद बृजेंद्र ओला खुश नजर आए।

1.63 फीसदी कम वोटों ने दिलाई बीजेपी को हार
चुनाव परिणाम के आंकड़ों की बात करें तो 1.63 प्रतिशत वोटों के अंतर से ही बीजेपी के शुभकरण चौधरी चुनाव हारे है। कांग्रेस के बृजेंद्र ओला को कुल मतदान के 49.44 फीसदी (553168) वोट मिले। जबकि बीजेपी के शुभकरण चौधरी को 47.81 (534933) फीसदी वोट मिले। इसके अलावा निर्दलीय शेखावत राजेंद्र सिंह को 0.69 (7690) फीसदी, बसपा से बंशीधर को 0.61 (6867) फीसदी, अंबेडकराइट पार्टी आफ इंडिया के दुर्गाप्रसाद मीणा को 0.49 (5497) प्रतिशत, निर्दलीय अलतीफ को 0.18 (2050) प्रतिशत, भीम ट्राईबल कांग्रेस के सत्यनारायण को 0.1 (1150) प्रतिशत, बहुजन क्रांति पार्टी मार्क्सवाद अंबेडकरवाद के हजारीलाल को 0.08 (940) प्रतिशत वोट मिले। जबकि नोटा को भी 0.59 (6632) फीसदी वोट मिले।

1996 की याद हुई ताजा, शीशराम ओला भी विधायक रहते हुए पहली बार बनें थे सांसद
मंगलवार को लोकसभा चुनावों के परिणाम घोषित हुए है। जिसमें बृजेंद्र ओला ने चुनाव जीतकर एक बार फिर 1996 की यादें ताजा कर दी है। दरअसल शीशराम ओला ने भी पहला चुनाव झुंझुनूं विधायक रहते हुए लड़ा था और जीता था। इसके बाद वे लगातार पांच बार सांसद बने और कभी हारे नहीं। बीते 10 सालों में मोदी लहर मानों या फिर कांग्रेस की कमजोरियां। भाजपा ने जीत दर्ज की। लेकिन इस बार शीशराम ओला के पुत्र झुंझुनूं विधायक एक बार फिर सांसदी लेने में कामयाब रहे। उनके सांसद बनने के साथ ही झुंझुनूं में उप चुनावों की चर्चा भी शुरू हो गई है। जिस तरह 1996 में सांसद बनने के बाद शीशराम ओला ने अपने बेटे बृजेंद्र ओला को पहला विधानसभा चुनाव लड़वाया था। उस वक्त भी प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी और अब भी बीजेपी की सरकार है। लेकिन उप चुनाव का परिणाम शीशराम ओला के मंशा के अनुरूप नहीं रहा था। इस बार रहेगा या नहीं और उम्मीदवार बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला होंगे या नहीं। यह आने वाला समय बताएगा।

झुंझुनूं में सर्वाधिक बढत मिली कांग्रेस को
विधानसभावार आंकड़ों की बात करें तो कांग्रेस को मंडावा और फतेहपुर में काफी बढत मिलने की चर्चाएं थी। लेकिन झुंझुनूं ने इसमें बाजी मारी और कांग्रेस को अकेले झुंझुनूं में 16 हजार 042 की बढत मिली। इसके बाद मंडावा में 13 हजार 438 तथा फतेहपुर में 11 हजार 377 वोटों की बढत मिली। पिलानी में भी मुकाबले कांटे रहा। लेकिन यहां पर कांग्रेस को सिर्फ 37 वोटों की बढत से ही संतोष करना पड़ा। बीजेपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन नवलगढ़ में रहा। जहां पर उन्हें 10 हजार 379 वोटों की बढत मिली। वहीं सूरजगढ़ में भी 9 हजार 53 वोटों की बढत मिली। खेतड़ी में 942 तथा उदयपुरवाटी में 2986 वोटों की बढत मिली।
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किस विधानसभा में कितने वोट मिले दोनों उम्मीदवारों को
दोनों प्रमुख उम्मीदवारों की बात करें तो झुंझुनूं में कांग्रेस को 84701 तथा बीजेपी को 68659, मंडावा में कांग्रेस को 72962 तथा बीजेपी को 59524, खेतड़ी में बीजेपी को 52931 तथा कांग्रेस को 51989, पिलानी में कांग्रेस को 59963 तथा बीजेपी को 59926, नवलगढ़ में बीजेपी को 76143 तथा कांग्रेस को 65764, सूरजगढ़ में बीजेपी को 75483 तथा कांग्रेस को 66430, उदयपुरवाटी में बीजेपी को 71433 तथा कांग्रेस को 68447 एवं फतेहपुर में कांग्रेस को 70947 तथा बीजेपी को 59570 वोट मिले।

भाजपा के लिए सबसे शानदार परफोरमेंस रही सूरजगढ़ की, फिसड्डी में झुंझुनूं अव्वल
विधानसभावार यदि परफोरमेंस की बात करें तो सूरजगढ़ की परफोरमेंस सबसे शानदार रही। विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी हार झेल चुकी सूरजगढ़ से भाजपा प्रत्याशी संतोष अहलावत ने दिन—रात एक करके सभी धारणाओं को बदलकर रख दिया और भाजपा को 9053 वोटों की बढ़त दिलाई। जिसका राजनैतिक जानकार अंदाजा भी नहीं लगा पा रहे थे। वहीं झुंझुनूं में 16042 वोटों की कांग्रेस को बढत मिलना। भाजपा नेताओं के लि सही नहीं कहा जा सकता। चर्चा है कि कांग्रेस ने जब बृजेंद्र ओला को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। उसी दिन से भाजपा नेताओं ने फिर से विधानसभा में जाने का सपना देखना शुरू कर दिया था। उन्होंने मानस बना लिया था। बृजेंद्र ओला के सामने कंडीडेट कोई भी आए। लेकिन उप चुनाव करवाना ही है। यह चर्चा इस परिणाम से सही साबित होती नजर आ रही है।

उप चुनाव में होगा त्रिकोणीय मुकाबला!
झुंझुनूं में अब होने वाले उप चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला होगा। क्योंकि भाजपा और कांग्रेस के अलावा शिव सेना शिंदे गुट के राजेंद्र सिंह गुढ़ा भी लगातार इलाके में सक्रिय है। उनका फोकस मुस्लिम और एससी—एसटी मतदाता है। यदि वे उन्हें साध पाते है तो यह बीजेपी के लिए प्लस प्वाइंट होगा। यदि नहीं साध पाते है और राजपूत समेत अन्य गैर जाट मतदाताओं के वोट खींचते है तो यह बीजेपी के लिए माइन्स प्वाइंट होगा। इसके अलावा फिलहाल कांउप चुनावों के लिए झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से सबसे प्रबल दावेदार अमित ओला है। इसके अलावा कांग्रेस जिलाध्यक्ष दिनेश सुंडा और मदरसा बोर्ड के चेयरमैन एमडी चोपदार भी इस दौड़ में शामिल है। वहीं बात करें बीजेपी की तो लोकसभा चुनावों में सबसे खराब प्रदर्शन बीजेपी का झुंझुनूं विधानसभा में रहा है। इसलिए यह तो शायद ही संभव हो कि इस बार भाजपा अपना चेहरा रिपिट करेगी। बीजेपी या तो निर्दलीय के रूप में विधानसभा चुनावों में ताकत दिखाने वाले राजेंद्र भांबू को चुनाव मैदान में उतार सकती है। या फिर कोई नया चेहरा ढूंढ सकती है। राजनैतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि इस परिणाम से दोनों ही पार्टियों के नेता खुश नहीं है। क्योंकि कई ऐसे क्षेत्र है। जहां कांग्रेस को बहुत अच्छे परिणाम और जीत के बहुत ज्यादा मार्जिन की आशा थी। जो आशा पूरी नहीं हुई। तो बीजेपी भी झुंझुनूं व खेतड़ी विधानसभा के प्रदर्शन से खुश नहीं है। मंडावा में खराब प्रदर्शन भी भीतरघात से जोड़कर देखा जा रहा है।

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